Skip to main content
Submitted by PatientsEngage on 21 January 2020

शय्याग्रस्त रोगी लम्बे समय तक कोई गतिविधि नहीं कर पाते हैं। इस कारण उन्हें अनेक स्वास्थ्य जटिलताओं हो सकती हैं, जैसे कि दर्दनाक शय्या व्रण (बेडसोर), रक्त संचार  और सांस-संबंधी समस्याएँ, अवसाद और अवकुंचन (कॉनट्रैक्चर)। इसं लेख में उषा रवि ने आपके शैय्याग्रस्त प्रियजन की उचित नर्सिंग और देखभाल के लिए कुछ सुझाव दिए हैं:

अगर कोई व्यक्ति बीमारी, विकलांगता या बड़ी उम्र की वजह से बिस्तर-बद्ध है तो इससे कई चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं। यह बोझ पीड़ित के साथ-साथ देखभालकर्ताओं को भी महसूस होता है। देखभालकर्ताओं के लिए यह जानना जरूरी और फायदेमंद है कि पीड़ित किस एहसास से गुज़र रहे हैं और उन्हें किस तरह की मदद की जरुरत है।

यह लेख शैय्याग्रस्त रोगियों की कुछ सामान्य चुनौतियों और स्वास्थ्य सम्बन्धी जोखिमों के बारे में है। साथ ही यह इन जोखिमों की संभावना कम करने के लिए, या समस्या हो तो उसे नियंत्रण में रखने के लिए कुछ नुस्खे सुझाता है।

कुछ अकसर पायी जाने वाली जटिलताएं:

  1. प्रेशर सोर या डिक्यूबिटस अल्सर (बेडसोर, शैय्याव्रण)
  2. न्युमोनिआ
  3. कब्ज़
  4. अवकुंचन (संकुचन, कॉनट्रैक्चर, मांसपेशियों का सिकुड़ना और सख्त होना)
  5. विकृति और कठोरता (मांसपेशियों और जोड़ों की विकृति)
  6. बार-बार होने वाला (आवर्तक)मूत्र पथ संक्रमण (UTI)
  7. अवसाद (डिप्रेशन)

1.   प्रेशर सोर या डिक्यूबिटस अल्सर (बेडसोर, शैय्याव्रण)

शय्या व्रण एक बहुत दुर्भाग्यपूर्ण जटिलता है पर इस को होने से रोका जा सकता है। शय्या व्रण उन लोगों में हो सकते हैं जो शैय्या ग्रस्त हैं या चल-फिर नहीं सकते । शरीर के उन जगहों पर इन के बनने की सबसे ज्यादा संभावना है जो हड्डीदार क्षेत्र हैं और जहां त्वचा और ऊतकों पर लगातार दबाव पड़ता है । यह लंबे समय तक एक ही जगह पर लेटे रहने या एक ही आसन में बैठे रहने से होता है। अच्छे पोषण की कमी, शुष्क और गीली त्वचा और ड्रेसिंग या कपड़े बदलने के लिए शरीर को हिलाने से त्वचा पर काट देने वाले दबाव से यह स्थिति और भी बदतर हो जाती है। प्रभावित क्षेत्र में रक्त संचार की कमी हो जाती है और काट देने वाले बल से त्वचा फट जाती है जिससे संक्रमणकारी, दर्दनाक और गहरे अल्सर पैदा हो जाते हैं। यह क्षेत्र शरीर में कहीं भी हो सकता है, चाहे वह किसी सतह पर टिका हुआ हो या ट्यूबों द्वारा कसकर सुरक्षित बाँध कर लम्बे अरसे तक एक ही पोजीशन में छोड़ दिया गया हो. उचित यह होता है कि पोजीशन बदलते रहें ।

शय्याव्रण (दबाव अल्सर) से पीड़ित लोग बेहद दर्द, असहजता, अवसाद और जीवन की गुणवत्ता में कमी का अनुभव कर सकते हैं। परिचारक या देखभालकर्ताओं का उद्देश्य है दबाव घावों को  बनने से रोकना, और हो जाने पर इनको कम करना और प्रबंधित करना। यहाँ कुछ नुस्खे दिए गए हैं:

  • शैय्याग्रस्त प्रियजन को नियमित रूप से करवट पलटना और पलंग पर उनका स्थान बदलते रहना।
  • जो कपड़े त्वचा के सीधे संपर्क में आते हैं, उनके नीचे कपास की परत लगाना ताकि यह पसीने को सोख ले और त्वचा सांस ले पाए।
  • नरम बिस्तर का उपयोग करें। ध्यान रहे कि यह प्लास्टिक का न बना हो।
  • शरीर के तरल पदार्थों से त्वचा गीली न हो जाए, इसलिए नमी सोख पाने वाली चादर का उपयोग करें।
  • प्रियजन को बिस्तर से निकलने के लिए प्रोत्साहित करें।
  • प्रियजन की बिस्तर में पोजीशन बदलने के लिए और हिलाने के लिए फ्रेम, स्लिंग्स या स्लाइड शीट्स का उपयोग करें ताकि रोगी को खींचना या धकेलना न पड़े। खींचने या धकेलने से त्वचा पर गहरा दबाव बन सकता है।
  • निष्क्रिय गति व्यायाम के विकल्प दें और जहां तक संभव हो प्रियजन को शरीर को सक्रिय बनाये रखने के लिए प्रोत्साहित करें।

2.   न्युमोनिआ:

  • बिस्तर पर लेटने की अवस्था को बदलते रहें। हर वक़्त पीठ पर या छत की ओर देखते हुए न लेटने दें।
  • पेट के बल लेटने या आधे पेट के बल लेटने से फेफड़ों के बेहतर वातन में मदद मिलती है और शरीर का दबाव सहने वाले हिस्सों को भी राहत मिलती है।
  • सोने के समय के अलावा बिस्तर का ऊपरी हिस्सा हर समय ऊंचा रखें।
  • गहरी साँस लेने और “खाँसी व्यायाम” को जितनी बार संभव हो प्रोत्साहित करें। कुछ अन्य अभ्यास है: मोमबत्तियों को बुझाना या हल्की वस्तुओं को उड़ाना और स्ट्रॉ के माध्यम से आधी भरी हुई पानी की बोतल में फूंक मारना (स्पायरोमेट्री)। यह सकारात्मक अंत-श्वसन दबाव (पीईईपी) और कंपन को संचारित करता है जिससे न्युमोनिआ का कारण बनने वाले फेफड़ों के स्राव को हटाने में मदद मिल सकती है।
  • किसी व्यक्ति को पर्याप्त रूप से सांस लेने के लिए किसी भी दर्द का तुरंत इलाज करना बहुत ज़रूरी है।
  • पेट अत्यधिक भरने से या पेट में तरल पदार्थ या गैस के संग्रह से फेंफड़ों पर दबाव पड़ सकता है।
  • पेट की सामग्री को ठीक से आगे निकलने में मदद करें। कुछ मामलों में इसे नासोगैस्ट्रिक ट्यूबों के माध्यम से सक्रिय रूप से हटाया जा सकता है।
  • मुंह की लगातार देखभाल करें और ऑरोफेरीनक्स या मुंह के पीछे के हिस्से का लगातार सक्शन (चूषण) करें, क्योंकि बिना उचित सफाई के एस्पिरेशन जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं जो न्युमोनिआ का कारण भी बन सकती है।

3.   कब्ज़:

  • नियमित भोजन और तरल पदार्थ दें (जितना व्यक्ति की स्थिति के अनुसार उचित है, और जितना व्यक्ति बर्दाश्त कर पा रहे हैँ)
  • तरल पदार्थ को गर्म करके लें
  • अनुमति हो और व्यक्ति की सहनशक्ति के हिसाब से आहार में स्थूलखाद्य (फाइबर) को शामिल करें
  • शौचालय का दिनचर्या नियमित रखें
  • आहार में अंजीर और सूखे बेर जैसे फलों का उपयोग करें
  • निर्धारित किए गए एपरिएंट्स (मृदुविरेचक) ले (कब्ज़ दूर करने की दवा)
  • चलते फिरते रहने से, और “रेंज ऑफ़ मोशन” व्यायाम (ऐसे व्यायाम जिसमे हर अंग तो अनेक तरह से मोड़ कर लचीला रखा जाता है) आँतों के एकत्रित मल  निकालने में आराम होता है

4.   अवकुंचन (संकुचन, कॉनट्रैक्चर, (मांसपेशियों का सिकुड़ना और सख्त होना):

  • सक्रिय और निष्क्रिय व्यायाम अवकुंचन की रोकथाम में मदद करते हैं
  • किसी भी पोजीशन में हाथ-पैरों के लिए उपयुक्त सहारे का उपयोग करें
  • शरीर के प्राकृतिक आकृति और आकार को बनाए रखने के लिए स्प्लिंट, वेजेस और अन्य उपकरणों का प्रयोग ज़रूरी है
  • हाथ-पैरों पर कम नियंत्रण होने पर, ठीक से न चला पाने पर या उनमें ताकत कम होने पर ध्यान रखना जरूरी है
  • दर्द निवारण की और विश्राम देने वाली  दवाएं संकुचन को रोकने में भी मदद कर सकती हैं
  • आवश्यकतानुसार आराम के उपाय प्रदान करें

5.   विकृति और कठोरता (मांसपेशियों और जोड़ों की विकृति)

लंबे समय तक बिस्तर पर आराम करने से किसी बीमारी से उबरा जा सकता है, यह धारणा गलत है। दरअसल यह हमारे शरीर के डिज़ाइन के विरुद्ध है। ज्यादा देर लेटे रहने पर एक प्रमुख चिंता है कि अकड़न होगी और उस से मांसपेशियां और जोड़ विकृत हो सकते हैं। इससे न केवल गतिशीलता सीमित होती है बल्कि यह दर्द का भी कारण बनता है। ऊपरी और निचले अंगों और जोड़ों में गतिशीलता कम होने से खाना खाने, गतिशीलता और स्वच्छता बनाये रखने और वजन सँभालने जैसे कामों के लिए दूसरों पर निर्भर होना पड़ सकता है। कलाई और पैर का गिरना सामान्य विकृतियाँ हैं। दोनों को ही एक हद तक रोका जा सकता है। निवारक उपायों में व्यायाम और उपकरणों का उपयोग शामिल है जो शरीर के अंगों के सामान्य संरेखण को बनाए रखने में मदद करते हैं।

विकृति और कठोरता के लिए कुछ उपाय

  • हथेली में पकड़ने के लिए प्रियजन को एक छोटा तौलिया या फेस वॉशर का रोल दिया जा सकता है।
  • उंगलियों और कलाई के जोड़ों को लगातार सक्रिय और निष्क्रिय रूप से हिलाना।
  • तनाव मुक्ति हेतु हाथ से दबाने वाली गेंद (स्ट्रेस बॉल), मसले जा सके वैसी चीज़ें या खिलौने विभिन्न गतियों को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
  • उँगलियों से जिल्द बनाना और उँगलियों का मोड़ना-निचोड़ना एक और तरीके का व्यायाम है।
  • सक्रिय और निष्क्रिय गतिविधियों से पहले गर्म पानी में नहलाने (गर्म पानी में हाथ डुबोना) से दर्द कम किया जा सकता है और हरकतों के लचीलेपन में सुधार लाया जा सकता है।
  • किसी पाटिये या “L” आकार के ऑर्थोटिक उपकरण में पैर रखने से पैरों के सामान्य आकार को बनाए रखने में मदद मिल सकती है।
  • बराबर फिट आने वाले कपड़े पहनने से दबाव से राहत मिलती है जो अन्यथा रक्त संचार को बाधित कर सकता है।
  • सिर से पैर तक के जोड़ों की गतिविधियां प्रियजन की सहनशक्ति के अनुसार बनाये रखें। सक्रिय गतिविधियाँ संभव  न हो तो  यह निष्क्रिय हो सकती हैं।

6.   बार-बार होने वाला (आवर्तक) मूत्र पथ संक्रमण (UTI):

मूत्राशय में मूत्र का ठहराव एक चुनौती साबित हो सकती है। (अन्य मुख्य कारण है न्यूरोनल आपूर्ति की कमी)

  • इसमें इन और आउट कैथीटेराइजेशन द्व्रारा मैनुअल रूप से विसर्जन करने की जरुरत होती है। इसके लिए विशेष कौशल की जरुरत होती है।
  • गंदे अंडरवियर या डायपर का बार-बार बदलना “आरोही संक्रमण” को रोकने में मदद करता है।
  • शरीर के सिस्टम को अच्छी तरह से साफ़ रखने के लिए लगातार उदार मात्रा में कई बार तरल पदार्थ लें।
  • संक्रमण के संकेतों के प्रति सतर्क रहें।

7.   अवसाद (डिप्रेशन)

बीमारी और विकलांगता के कारण शैय्याग्रस्त मरीज़ आसानी से अक्षमता की भावना से ग्रस्त हो सकता है। उस माहौल में चार-दीवारों में  बंद, एक ही दृश्य दिन भर देखते रहना, हल्की रोशनी और बहुत काम बातचीत में शायद रहना पड़े । ऐसे में आराम प्रदान करने और दर्द से राहत के लिए पर्याप्त दिनचर्या प्रदान करना जरूरी है। विभिन्न थेरेपी जैसे मसाज, सोने से पहले गर्म पानी में स्नान, अरोमाथेरेपी आदि अवसाद केको कम करने में कारगर हो सकते हैं। कुछ उपयोगी नुस्खे:

  • बिस्तर को रोशनी  वाले, हवादार कमरे में ले जाएं।
  • प्रियजन की सामाजिक और भावनात्मक जरूरतों को पूरा करें। संगीत या ध्यान (मैडिटेशन) से अवसाद के कुछ लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है।
  • अपने प्रियजन की पसंद के अनुसार शांत, सुखदायक संगीत बजाएं। यह अक्सर देखभाल करने वालों के लिए मायूस करने वाला हो सकता है, लेकिन यहाँ पूरा ध्यान आपके प्रियजन पर है।
  • सकारात्मक सोच, बातचीत और मेल-जोल को प्रोत्साहित करें जिससे उन्हें अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का अवसर मिल सके। यह हमें उनकी दिनचर्या को स्थापित करने में सहायता करेगा - चाहे किसी पादरी या दोस्त से मुलाकात हो, वीडियो चैट हो, स्काइप पर बातचीत हो, एक खुश करने वाला सामाजिक मिलन हो या किसी यादगार वीडियो को चलाना हो।
  • कमरे की सजावट मनोदशा और भावनाओं को प्रभावित कर सकती है। कमरा आरामदायक और सौंदर्यवादी रूप से मनभावन होना चाहिए।

भारत में जन्मी और पढ़ी उषा रवि ऑस्ट्रेलिया में बाल चिकित्सा क्रिटिकल केयर में एडवांस्ड नर्स प्रैक्टिशनर (ऐएनपी) के रूप में क्रिटिकल केयर के क्षेत्र में काम करती हैं। वे विभिन्न स्तरों पर सामुदायिक कार्यों का समर्थन करती हैं। वे विश्वास करती हैं कि नैदानिक अभ्यास उनका जुनून है। वे पिछले 24 वर्षों से सेवा में हैं और रोज़मर्रा की चुनौतियों का सामना करने के लिए खुद को सक्रिय बनाये रखने के लिए संगीत प्रस्तुति करती हैं। वे अपने पति, बच्चों और एक अतिसक्रिय कुत्ते के साथ अपने प्रिय से घर में रहती हैं और उन्हें शिकायत करने के लिए कोई समय और कारण नहीं मिलता।

Condition
Changed
Tue, 01/21/2020 - 18:49

Stories

  • Stop Your Child Smoking
    Why your child is at risk and what to say to him or her. By Dr Shital Raval Patel. When you think of a smoker, you don’t think of a 10-year-old. But 67% of smokers in India start the tobacco habit between the ages of 9 and 15. According to the Global Youth Tobacco Survey (2006), more than one third of students aged 13 to 15 years (36.8%) reported initiating tobacco use before the age of 10 (Sinha et al., 2008). This could be cigarettes, bidis (which have three times the amount of nicotine and…
  • , ,
    Dental Health and its influence on Systemic Diseases
    Maintaining good oral health is more than just about keeping cavities at bay. Your dental health has far-reaching consequences on your body, with oral bacteria being linked to many life-threatening conditions, like cardiovascular and respiratory diseases, renal health and even brain abcess. Oral hygience and overall good health  Like many areas of the body, your mouth is teeming with bacteria, most of them harmless. Normally the body's natural defences and good oral health can keep these…
  • 'I Felt Empty And Directionless', Says Deepika Padukone on Her Battle With Depression
    36% of Indians suffer from depression according to WHO. 100,000 people commit suicide every year.  Deepika, her mother Ujjala, and her doctors Dr. Anna Chandy and Dr. Shyam talk about it, about the need for family support, the need to talk about it and ask for help and to undergo counselling and treatment Deepika: I think physically what is happening is this weird pittish feeling, emptiness. My breathing was different, it was not a deep breath, it was very shallow, uneven breath,…
  • My friend's tragic run of depression
    By Dirk de Korne for the Straits Times. The writer is a Dutch health scientist working in Singapore. -  It's time to remove the stigma attached to mental disorders - they are illnesses, not character flaws. He and his wife made us feel at home in Singapore. We shared many meals and enjoyed fellowship in what we called our "238 community", referring to our table number at the Old Airport Road Hawker Centre. Not everything in his garden was rosy. From his student years on, he had…
  • Medicating women's feelings
    Women's emotionality is a sign of health, not disease. Whether a woman needs medication should be a medical decision, not a response to peer pressure and consumerism.. Women are twice as likely as men to receive a diagnosis of anxiety disorder and depression than men are. For many women, these drugs greatly improve their lives, but for others its not necessary. In the days leading up to menstruation, emotional sensitivity is heightened , women may feel more irritable, less insulated. But that…
  • What Is Depression? Let This Animation With A Dog Shed Light On It
    In collaboration with WHO to mark World Mental Health Day, writer and illustrator Matthew Johnstone tells the story of overcoming the “black dog of depression”. Probably the only dog video on the Internet that will make you reflect. Millions of people around the world live with depression, a frightening, debilitating condition at its worst. Many of these individuals and their families are afraid to talk about their struggles, and don’t know where to turn for help. Recognizing depression and…
  • 20 things to remember if your loved one suffers from Depression
    According to the World Health Organization, there are more than 350 million people all over the world with depression. With that staggering statistic, it is highly probable that we will all interact at some point with someone experiencing a bout with depression. One of the most devastating aspects of dealing with depression is the stigma and negative criticism that comes from others. Furthermore, people may not even know that their behaviors and comments are being negative or hurtful…
  • Caregiver health and wellness
    You are focused on looking after a patient with a chronic condition. But you, the caregiver, may also be at risk. Rama Murali of Care3 (Care Cubed), a support network and resource bank for caregivers, gives you some tips on how to avoid caregiver burnout. “You yourself, as much as anybody in the entire universe, deserve your love and affection.” – Buddha Why focus on Caregiver health? Although caregiving can be truly rewarding for many, the 24×7 nature of caring for a…
  • Deepika Padukone on Depression : It was a struggle to wake up
    Did you know that as recent as last year, Deepika Padukone was struggling with anxiety and depression, at a time when she was establishing her credentials as one of Bollywood's most sought after actors. She bares her heart for the first time about how she straddled these two aspects of her life and came out a winner. A day earlier, I had fainted due to exhaustion; it was all downhill from there. I felt a strange emptiness in my stomach. I thought it was stress, so I tried to distract…
  • Parkinson's, Depression and the Switch that might turn them off
    Deep brain stimulation is becoming very precise. This technique allows surgeons to place electrodes in almost any area of the brain, and turn them up or down — like a radio dial or thermostat — to correct dysfunction. Andres Lozano offers a dramatic look at emerging techniques, in which a woman with Parkinson's instantly stops shaking and brain areas eroded by Alzheimer's are brought back to life. The multi-disciplinary approach of medicine and engineering has resulted in greater precision of…