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ह्रदय की गति का रुक जाना, वॉल्व का रिप्लेसमेंट या हृदय की सर्जरी के बाद हृद्य को सुदृढ़ करने के लिए कार्डियाक रिहैबिलीटेशन अत्यंत लाभकारी और जीवन को बदल देने वाली प्रकिया है। 71 वर्षीय श्रीकांत शाह अपने कार्डियाक रिहैबिलीटेशन कार्यक्रम के अनुभव को याद करते हैं कि कैसे वे अब सीढ़ियां चढ़ जाते हैं और उनकी सांस भी नहीं फूलती है।
मैं कई सालों से हृदय रोगी हूं और मेरे परिवार में हृदयरोग पहले से चलता आ रहा है। हाल ही में दिल का दौरा पड़ने के बाद मेरी बाईपास सर्जरी हुई और एऑर्टिक वॉल्व बदलना पड़ा। इससे पहले 2008 में दो स्टेंट डले थे।
बाईपास सर्जरी के बाद मेरे डॉक्टर्स की टीम ने मुझे कार्डियाक रिहैबिलीटेशन की पुरजोर सलाह दी। अगर आपको हृदयाघात, एन्जिओप्लास्टी या हृदय सर्जरी से गुजरना पड़ा हो तो हृदय को सशक्त बनाने के लिए कार्डियाक रिहैबिलीटेशन आप के लिए बहुत ही लाभकारी होगा।
मेरा कार्डियाक रिहैब केंद्र एच एन रिलायंस अस्पताल था। यहां हफ्ते में एक बार योग और तीन बार कार्डियो होता था।
- वार्म अप 5 से 7 मिनट
- साइकिलिंग 18 मिनट
- ट्रेडमिल 20 से 25 मिनट
- एलिप्टिकल 4 से 5 मिनट
मुझे पोषण विशेषज्ञ और मनोचिकित्सक के पास हर महीने जाने की भी सलाह दी गयी थी परन्तु मैं इन दोनों में से किसी के पास भी नहीं जाता था। 3 महीने बाद मुझे कार्डियाक रिहैब के लिए जाने की भी जरूरत नहीं रही। मेरा हृदय अच्छी स्थिति में है या नहीं यह जानने के लिए मैं हर 6 महीने में अपने हृदय रोग विशेषज्ञ और सर्जन से मिलता रहता हूं।
रिहैब (पुनर्वसन) कार्यक्रम ने मेरे जीवन और उर्जा के स्तर को बदलने में बहुत मदद की है। पहले मुझे 10 मिनट चलना भी बहुत मुश्किल लगता था और सीढ़ियां चढ़ते वक्त मेरी सांस फूलने लगती थी। लेकिन अब मुझे कमजोरी का अहसास नहीं होता है। मैं अपने रोज के काम कर सकता हूं और बिना हांपे धीरे-धीरे सीढ़ियां भी चड़ सकता हूं। पहले मुझे रिहैब कार्यक्रम को करने का मन नहीं करता था मगर धीरे-धीरे मुझे इसमें आनंद मिलने लगा।
कार्डियाक रिहैबिलीटेशन कार्यक्रम वैसे तो मोटे तौर पर बहुत ही अच्छा होता है, लेकिन इस में कुछ चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है।
- परिवार वालों के लिए काफी असुविधाजनक रहता है।
- कार्यक्रम की ज्यादा लागत के कारण आर्थिक परेशानी।
- अच्छे स्वास्थ्य की लगातार शुभकामनाएं मिलती रहती हैं - यह कभी कभी बहुत ही निराशाजनक लगती हैं और परेशान करती हैं।
मैं इस कठिन समय से गुजर चूका हूँ। इसलिए ऐसी चुनौतियों का सामना करने वाले रोगियों को मेरी सलाह है कि:
- ऑपरेशन से डरे नहीं। चिकित्सा विज्ञान बहुत आगे बढ़ चुका है और सर्जरी के जोखिम बहुत ही कम हो गए हैं।
- स्वस्थ रहने के लिए और ऐसी परिस्थिति दोबारा न हों, इस के लिए दृढ निश्चय लें और सभी जरूरी कदम उठाएं।
अगर मुझसे कोई पूछे कि आप क्या सोचते हैं, आप अपनी परिस्थितियों को बेहतर तरीके से कैसे संभाल सकते थे, तो मझे मानना पड़ेगा कि स्वस्थ रहने के लिए कोई ऐसा कदम नहीं है जिसके बारे में मुझे पहले से पता नहीं था।
मेरी डायबिटीज ठीक से नियंत्रित नहीं है, और मुझे उसके जोखिम के बारे में पता है। मुझे लगता है कि मेरे भरसक कोशिश करने के बावजूद मुझे डायबिटीज के बुरे प्रभावों को भुगतना पड़ रहा है। हालांकि मेरे डॉक्टरों का कहना है कि मेरा आहार पर नियंत्रण और व्यायाम का स्तर पर्याप्त नहीं है लेकिन जो मैं कर रहा हूँ इससे ज्यादा करना मेरे बस का नहीं है। मैं स्वंय पर इससे अधिक जोर नहीं दे सकता हूं।
मैं नियमित तौर से डॉक्टर के पास जाकर अपनी सेहत पर नजर रखता हूं जिसके लिए मेरे पास डॉक्टरों की एक लंबी सूची है:
- हर 6 हफ्ते में एंडोक्रिनोलोजिस्ट /मधुमेह विशेषज्ञ
- हर 6 महीने में हृदय रोग सर्जन
- हर 4 महीने में हृदय रोग विशेषज्ञ
- साल में एक बार आंख नाक गला विशेषज्ञ
- साल में एक बार न्यूरोलॉजिस्ट
- साल में एक बार यूरोलॉजिस्ट
अभी जो दवाइयां मैं ले रहा हूं:
- टी क्लोपिवास- एपी (750 मिलीग्राम)-0 1 0
- टी निकोरान- (5 मिलीग्राम)-1 0 1
- टी इन्वाब्रिड-(5 मिलीग्राम)-1 0 1
- टी क्रेस्फोर-(10 मिलीग्राम)-0 0 1
- टी लैसिलेकटौन-(50 मिलीग्राम) – ½ एस ओ एस अगर सूजन है तो
- कैप्सूल विब्रामिया- 3/7/2017 से 3 महीनों के लिए - 1 0 1
- कौनट्राईफ्लो-1 0 1
मेरे स्वास्थ्य को लेकर इतनी चुनौतियों और दिक्कतों के बाद भी मैंने कभी अपनी जीवनशैली में कोई बदलाव नहीं किया।
क्या मैं इस उम्र में ऐसे जीवनशैली बदलाव कर सकता हूं? जाहिर है बिलकुल नहीं!!