लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय के एंडोक्राइन सर्जरी विभाग के प्रमुखएवं प्रोफेसर डॉ. आनंद मिश्राने लखनऊ में स्तन कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए स्तन कैंसर के सरवाइवर के लिए एक रैंप वॉक का आयोजन किया था जिसमें पुरूष भी शामिल थे। इस इंटरव्यू में पढ़ें इस रैंप वॉक के बारे में और भविष्य की योजनाओं के बारे में उनके विचार।
कृपया स्तन कैंसर के मरीजों के संदर्भ में अपनी यात्रा के बारे में बताएं।
स्तन कैंसर पर मैं बहुत सालों से काम कर रहा हूं। यह सफ़र तब शुरू हुआ जब मैं लखनऊ के संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में ट्रेनी सीनियर रेसिडेंट डॉक्टर था। उस समय मैं इस पर विशेषज्ञता हासिल कर रहा था। वर्ष 2009 में मैंने के जीएमयू(KGMU) लखनऊ के सर्जरी विभाग में प्रोफेसर और स्तन कैंसर और एंडोक्राइन सर्जरी विभाग के प्रमुख के तौर पर काम करना शुरू किया।तबसेमैं स्तन कैंसर से जूझ रहे लोगों का इलाज कर रहा हूं।
स्तन कैंसर के सरवाइवर(उत्तरजीवियों) कारैम्प शो करने का आपका उद्देश्य क्या था? कृपया बताएं कि आपने इस कार्यक्रम का आयोजन कैसे किया।
मई 2019 में हमने इस बीमारी के15 सरवाइवर (उत्तरजीवियों) के साथ लखनऊ सपोर्ट ग्रुप की स्थापना की थी। हमारा मकसद था कि हम उन लोगों का दृष्टिकोण समझें जो कैंसर के इलाज से गुज़र चुके हैं और जिन का कैंसर अब काबू में है, या जो अब कैंसर मुक्त घोषित हो चुके हैं।उन की आवाज़ सुनना और उन्हें भागीदारी आवश्यक है। अक्टूबरका महीना “स्तन कैंसर जागरूकता माह” के रूप में मनाया जाता है। स्तन कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मैंने इन 15 सरवाइवरकी मीटिंग बुलाई और उन्हें रैंप शो में भाग लेने का निमंत्रण दिया. इरादा था कि इस अवसर पर ये सभी उत्तरजीवीइस रैंप शो के द्वारा समाज में आगे आकर अपने विचार और अनुभव बाँट सकेंगे और लोगों को बता सकेंगे कि छोटे शहरों में भी स्तन कैंसरका उचित उपचार संभव है और स्तन कैंसर से उभरा का सकता है। मैं कैंसर से जूझ रहे परिवारों को सशक्त करना चाहता हूँ। मैं यह जागरूकता फैलाना चाहता हूँ कि लखनऊ जैसे टीयर 2 या बी क्लास शहर के सरकारी अस्पतालों में भी कैंसर का कारगर उपचार संभव है। इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए हमने बॉलीवुड अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरे को भी आमंत्रित किया था और उनकी उपस्थिति से सभीकार्यकर्ताओं का जोश और भी बढ़ा।
आपके इस प्रस्ताव पर लोगों की प्रतिक्रियाएं कैसी थीं?
बहुत ही अच्छी थीं। सभी सरवाइवर, उनके परिवार के सदस्य, समाज के लोग और मीडिया केलोग सभीबहुत खुश थे।उत्तरजीवीइ से लेकर बहुत उत्साहित थे।
मरीज और उसके परिवार वालोंके दृष्टिकोण से देखते हुए, क्या आपको लगता है कि स्थानीय उपचार बेहतर है? यदि ऐसा है तो क्यों?
हमारे देश के लोगों की बहुत बड़ी गलतफहमी है कि कैंसर का उपचार सिर्फ मुंबई के टाटा अस्पताल या फिर दिल्ली के किसी बड़े अस्पताल में ही हो सकता है। अगर परिवार के पास मुंबई या दिल्ली जैसे बड़े शहर जाने के पैसे न हों तो उन्हेंब हुत निराशा होती है। इस रैम्पवॉक में मैंने ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को शामिल करा ताकि यह जागरूकता फैलाई जा सके कि लखनऊ जैसे तुलनात्मक रूप से छोटे शहर में भी कैंसर का उचित उपचार संभव है। इन सबसे यहां इस बीमारी से जूझ रहे मरीजों की हिम्मत बढ़ेगी।
क्या इस कार्यक्रम की आयोजन में आपको चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
सबसे बड़ी चुनौतोयाँ थीं: पैसे का प्रबंध करना और पर्याप्त काम करने वाले लोगों को एकत्रित करना। मैं विश्वविद्यालय से जुड़े कुछ सहकर्मियों की मदद से इस कार्यक्रम को आयोजित कर रहा था -- खर्च कम रखते केलिए हमने किसी इवेंट मैनेजमेंट कंपनी का सहारा नहीं लिया।इसलिए हम सब पर काम का दबाव कुछ ज्यादा बना रहा।
आप स्तन कैंसर से जुड़े अन्य कौनसे जागरूकता कार्यक्रमों में शामिल रहे हैं?
वर्ष 2018 में हमने 21 किलोमीटर की पिंक हाफ मैराथन,क्रॉस कंट्री वॉकथॉन का आयोजन करा जिसमें भाग लेने वाले पुरुषोंके लिए 10 किलोमीटर और महिलाओं के लिए6 किलोमीटर की दौड़ थी, और सामान्य लोगों 2 किलोमीटर चल सकते थे। यह स्तन कैंसर की जागरूकता फैलाने के लिए एक प्रतियोगिता वाला खेल था। हमने यूपी एथलेटिक्स एसोसिएशन के साथ मिलकर इसका आयोजन किया था - यहनि:शुल्क था और पुरस्कार राशि एक लाख रुपए थी (महिला व पुरुष दोनों श्रेणियों के लिए)।यह उत्तरप्रदेश में अब तक की सर्वोच्च पुरस्कार राशि है।
क्या आप सोचते हैं कि ऐसे जागरूकता फैलाने वाले प्रोग्राम से स्तन कैंसर के केस शुरुआती अवस्था में ही पकड़ पायें, इस में मदद मिलेगी?
रोगी शुरुआती अवस्था में ही जांच के लिए अस्पताल आयें, इस के लिए समाज में स्तन कैंसर संबंधी जागरूकता फैलाना बहुत जरूरी है।अफ़सोस, आज कल60% रोगी हमारे पास तभी आते हैं जब कैंसरफैल चुका होता है और वे मेटास्टैटिक स्टेज में होते हैं। हमें विश्वास है कि जागरूकता के जरिए वे हमारे पास जल्दी आएंगे। रोगी ऐसे अन्य वैकल्पिक उपचारों में नहीं फंसेंगे जो कारगर नहीं हैं और रोग को नहीं रोक पाते हैं. हमें उम्मीद है कि जागरूकता हो तो रोगी अपनी चिकित्सा प्रणाली को पूरा करेंगे,बड़े शहरों कीतरफ नहीं भागेंगे और एलोपैथी मेडिसिन के आधुनिक उपचार तकनीकों पर विश्वास रखेंगे।
कृपया हमें स्तन कैंसर सम्बंधित अपनीभविष्य की योजनाओं के बारे में बताएं।
फिलहाल मेरी योजना लखनऊ स्तन कैंसर ग्रुप को सशक्त करने की है जिससे हमारे वर्तमान रोगियों को मदद मिल पायेगी। मैं पुरुषों को भी स्तन कैंसर के बारे में सतर्ककरना चाहता हूं क्योंकि परिवार की महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए वेभी जिम्मेदार होते हैं। उन्हें न केवल जागरूक होना चाहिए बल्कि अपने परिवार की महिलाओं के स्वास्थ्य को बनाए रखने का काम भी करना चाहिए।