![Stock pic of a young women running on the beach with an overlay of a heart and ECG](/sites/default/files/styles/max_325x325/public/Resouces/images/Heart%20disease%20in%20women.jpg?itok=iJBtviWb)
हिंदुजा हेल्थकेयर सर्जिकल हॉस्पिटल की इंटर्वेंशनॉल कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. स्नेहिल मिश्रा इस भ्रम को दूर कर रहे हैं कि हृदय रोग केवल पुरुषों का रोग है। सच इसके विपरीत है। महिलाओं में मृत्यु का सबसे बड़ा कारण हृदय रोग ही है, परन्तु इसके लक्षण महिलाओं में फरक हैं।
क्या हृदय रोग पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए ज्यादा खतरनाक है?
जागरूकता की कमी के कारण और केस की सही पहचान और रिपोर्टिंग में कमी के कारण महिलाओं में हृदय रोग का जोखिम सच्चाई से काफी कम आंका गया है। ज्यादातर पश्चिमी देशों में मध्यम आयु वर्ग की महिलाओं में हार्ट अटैक (हृदयाघात) बढ़ता जा रहा है और पुरुषों में कम होता जा रहा है। भारत में भी जल्दी ही ऐसी ही तस्वीर नजर आए तो इसमें हैरानी की बात नहीं होगी। इसके अलावा बहुत सारे हृदय रोग के जोखिम हैं जो सिर्फ औरतों में होते हैं और जिन का पुरुषों पर कोई असर नहीं पड़ता। वास्तव में महिलाओं की मौत का सबसे बड़ा कारण हृदय रोग ही है और इसकी संख्या सभी प्रकार के कैंसर को मिला कर उन से होने वाली मौत से कहीं अधिक है।
महिलाओं में दिल का दौरा पड़ने के ऐसे कौन से लक्षण हैं जो सिर्फ महिलाओं में होते हैं, पुरुषों में नहीं?
यह जानना बहुत ही जरूरी है कि महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण सामान्य तौर पर हार्ट अटैक के जाने माने लक्षण में से शायद नहीं हों। जैसे कि, यह जरूरी नहीं कि महिलाओं को हार्ट अटैक में छाती में जबरदस्त दर्द हो। महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण अस्पष्ट हो सकते हैं, जैसे कि-
- पेट के ऊपरी भाग में तेज दर्द
- सांस लेने में दिक्कत
- थकान या बेचैनी महसूस करना
- जबड़े में दर्द होना
- दिल की धड़कन (स्पनदन) का तेज़ और अनियमित होना
- चक्कर आना, बेहोशी
पुरुषों की तुलना में महिलाओं में हार्ट अटैक की वजह से अचानक मौत ज़्यादा होती है। इनमें “साइलेंट हार्ट अटैक” के केस भी अधिक होते हैं, जिन का पता ही नहीं चल पाता। यही कारण है कि कई बार महिलाओं में हृदय रोग की पहचान नहीं होती और डॉक्टर भी इलाज में देरी कर देते हैं।
महिला होने के कारण ऐसी कौन सी परिस्थितियां है जिनकी वजह से उन में कोरोनरी धमनी रोग का खतरा बढ़ जाता है?
पुरुषों की तुलना में महिलाओं में कुछ ऐसी ख़ास स्थितियां हैं जिन से उन में हृदय रोग की प्रवृत्ति अधिक देखी जाती है।
- समय से पहले होने वाला प्रसव
- गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप
- गर्भावस्था में मधुमेह
- प्रसव के बाद भी वजन का अधिक बना रहना - जिन महिलाओं का वजन प्रसव के बाद 3 से 12 महीने के अंदर कम नहीं होता, उन की कार्डियोमेटाबॉलिक प्रोफाइल (ह्रदय और मेटाबोलिस्म संबंधी प्रोफाइल) अस्वस्थ मानी जाती है।
2. गर्भनिरोधक गोलियां और हार्मोन प्रतिस्थापना (हॉर्मोन रिप्लेसमेंट) चिकित्सा।
3. प्रदाहक (इंफ्लेमेटरी) रोग जैसे रूमेटाइड गठिया और प्रणालीगत ल्युपस इरिथिमेट्स (सिस्टेमिक ल्यूपस इरिथिमेट्स) ।
4. धूम्रपान और शराब पीना- पुरुषों की तुलना में धूम्रपान करने से महिलाओं में हृदय रोग का खतरा अधिक होता है। शराब पीने से नुकसान होने के मामले में भी, पुरुषों की तुलना में महिलाएं कम शराब सहन कर पाती हैं - यानि की, महिलाओं की पीने की ऊपरी सीमा कम होती है ।
5. तनाव और अवसाद (डिप्रेशन) - पुरुषों की तुलना में महिलाओं का दिल तनाव और अवसाद से ज्यादा प्रभावित होता है। युवा महिलाओं में यह एक अहम पहलू है ।
6. स्तन कैंसर के उपचार के दौरान प्राप्त कीमोथेरेपी और विकिरण (रेडिएशन) चिकित्सा।
7. पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) और एंडोमेट्रियोसिस जैसी बीमारियां।
मासिक धर्म से निवृत हुई (रजोनिवृत) महिलाएं हृदय रोग के जोखिम को कैसे कम कर सकती हैं?
- जागरूक रहकर
- शारीरिक सक्रियता- हर हफ्ते कम से कम 150 मिनट का व्यायाम जरूरी है। इसमें तेजी से चलना, जोगिंग करना, तैरना, नृत्य करना या इसी तरह की अन्य एरोबिक गतिविधियां शामिल हैं।
- स्वस्थ आहार- कम तेल, अधिक हरी सब्जियां, पौधों से उतपन्न खाद्य का अधिक सेवन करें और प्रोसेस्ड फ़ूड से बचें।
- धूम्रपान करना छोड़ दें
- पेट को कम करने पर जोर देने के साथ-साथ वजन कम करने पर भी ध्यान दें।
- डॉक्टर से नियमित जांच करवाएं, जोखिम कारकों को कम करें और उचित इलाज कराएं।
मधुमेह से जूझ रही महिलाओं में पुरुषों की तुलना में हृदय रोग का खतरा ज्यादा क्यों होता है?
महिलाओं में मधुमेह का मेटाबॉलिक प्रोफाइल पुरुषों से अलग होती है। इसमें खराब कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है और अच्छा कोलेस्ट्रॉल घट जाता है। खराब कोलेस्ट्रॉल के कणों में वृद्धि होती है और इनकी धमनियों की दीवारों पर जम जाने की संभावना अधिक होती है, जिसकी वजह से इन्फ्लमेशन आ जाती है। इन सबकी वजह से महिला मधुमेह (डायबिटीज) रोगियों में हृदय रोग का खतरा पुरुष मधुमेह रोगियों की तुलना अधिक होता है।
क्या गर्भनिरोधक गोलियों और धूम्रपान से युवा महिलाओं में हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है?
हां, कुछ गर्भनिरोधक गोलियों से हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है इसीलिए डॉक्टर से हृदय रोग के जोखिम कारकों की पूरी जांच करवाने के बाद सिर्फ डाक्टरी सलाह पर लेना चाहिए। पुरुषों की तुलना में धूम्रपान करने वाली महिलाओं में कोरोनरी धमनी रोग की संभावना 25 % अधिक है। गर्भनिरोधक गोली के साथ धूम्रपान करना हृदय रोग के लिए और भी अधिक घातक है।
पुरुषों की तुलना में हृदय रोग से जूझ रही महिलाओं का इलाज उतने जोर से क्यों नहीं करा जाता?
ह्रदय रोग संबंधी महिलाओं के जोखिम कारकों के बारे में जागरूकता कम है - आम लोगों में लोगों में भी, और डॉक्टरों में भी। जानकारी की इस कमी की वजह से अक्सर महिलाओं का इलाज सही तरीके से नहीं हो पाता है। अपने परिवार से जुड़ी जिम्मेदारियों में व्यस्त होने के कारण भी कुछ महिलाएं हृदय रोग के लिए जरूरी रीहैब के सेशन के लिए आने से कतराती हैं।
महिलाओं में बाईपास सर्जरी और स्टेंट लगने की संभावना कम क्यों है?
हृदय रोग से जूझ रही महिलाएं जागरूकता कम होने के कारण इलाज के लिए देर से आती हैं और उन में प्रकट लक्षण भी इतने स्पष्ट और typical नहीं होते हैं (पुरुषों की तुलना में)। आख़िरकर जब वे इलाज करना आती हैं, हो सकता है कि रोग के कारण हृदय को जो भी नुकसान हुआ है वह किसी भी थेरेपी जैसे स्टेंट या बायपास सर्जरी से ठीक नहीं हो सके। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में हृदय रोग के कारण हृदय की छोटी धमनियों में अधिक रुकावट होती जो और इस स्थिति में सर्जरी उतनी असरदार नहीं होती।
क्या दिल का दौरा पड़ने के बाद महिलाओं की हालत पुरुषों की तुलना में ज्यादा खराब होती है?
हां, जिन महिलाओं को दिल का दौरा पड़ चुका है उनमें पुरुषों की तुलना में हृदय रोग की समस्या और दोबारा दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। तुलनात्मक रूप से पारंपरिक उपचार की प्रक्रिया भी महिलाओं में (पुरुषों के मुकाबले) इतनी निश्चित नहीं है और अलग अलग होती है ।
क्या भारत में महिलाओं में हृदय रोग की घटनाओं में वृद्धि हुई है? क्यों?
भारत में मेटाबॉलिक एपिडेमिक में बढ़ोतरी हुई है जिसमें मोटापा, मधुमेह तथा उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियां शामिल है। इन के कारण महिलाओं में हृदय रोग की वृद्धि हुई है , ख़ास तौर से गर्भावस्था संबंधी स्थिति में और रजोनिवृति के बाद की आयु में। साथ ही पश्चिमी संस्कृति को अपनाने से, साथियों के दबाव देने के कारण तथा मीडिया के प्रभाव से धूम्रपान करने वाली महिलाओं में भी वृद्धि हुई है। भारतीय महिलाओं में तनाव और डिप्रेशन भी बढ़ रहा है। और इन सभी के साथ साथ अस्वस्थ आहार और बिगड़ी सोने की आदतों से और शारीरिक गतिविधियों में कमी की वजह से भी भारतीय महिलाओं में हृदय रोग का खतरा बढ़ रहा है।
दिल के दौरे के खतरे को कम करने के लिए महिलाएं क्या-क्या कर सकती हैं?
- इस बात का ध्यान रखें कि हृदय रोग सिर्फ पुरुषों का ही रोग नहीं है।
- अपने रिस्क प्रोफाइल की जानकारी रखें। वजन, पेट का मोटापा, बीपी, शर्करा और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखें ।
- धूम्रपान छोड़ें।
- शारीरिक रूप से सक्रीय रहें।
- खानपान, नींद और मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए अच्छा जीवन जीवनशैली वाली आदतें अपनाएं।
डॉ. स्नेहिल मिश्रा, इंटर्वेंशनॉल कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट, हिंदुजा हेल्थकेयर सर्जिकल हॉस्पिटल ।