डॉ। कल्याणी नित्यानंदन, एक 85 वर्षीय कार्डियोलॉजिस्ट, अकेले रहती हैं। इस लेख में वे हमारे साथ साझा करती हैं कि कैसे कार्डियक इमरजेंसी के लिए खुद को तैयार करें और कोविड -19 लॉकडाउन के दौरान खुद को खुश और उत्साहित कैसे रखें।
जब तक मेरी माँ वरिष्ठ नागरिक बनने की उम्र तक पहुँचीं, तब तक वे विधवा बन चुकी थीं और वे अपना कोई घर नहीं चला रही थीं। उनके दो बच्चे चेन्नई में ही थे और दो भारत में अन्य जगह थे। वे अपना समय उन के बीच विभाजित कर रही थीं।
हर घर में उन्होंने अपने कुछ जोड़ी कपड़े छोड़े हुए थे, और साथ ही एक खाने की प्लेट और लोटा'। जब भी वे एक बच्चे के घर से दूसरे के घर जाना चाहती थीं तो वे सिर्फ एक फोन कॉल करतीं, अपना पूजा का डब्बा और छोटा सा बैग लेतीं और चल पड़तीं। जिस भी घर में जातीं, वे सक्रिय रूप से उस घर में कार्यों में मदद करतीं, पर वे किसी का कोई आभार नहीं लेतीं।
अफ़सोस, जब तक मैं जीवन में उस स्तर तक पहुँची, मैं विधवा थी और अकेले सक्रिय रूप से रह रही थी, लेकिन मैं उस आधुनिक भारतीय क्लब में शामिल थी जिसे "एसपीसीए" कह जा सकता है। इस का पशु क्रूरता से सम्बंधित सपीसीएकोई से कोई लेना देना नहीं है - यह “सोसाइटी ऑफ़ पेरेंट्स विथ चिल्ड्रेन अब्रॉड” है - यानी कि ऐसे माँ-बाप जिन के बच्चे विदेश में हैं । लेकिन भले ही वे मुझसे कुछ हज़ार मील दूर थे, लेकिन वे हमेशा 24 घंटे के अन्दर यात्रा करके पहुँच सकते थे।
दिल का दौरा पड़ने से सब योजनाएं अस्त-व्यस्त हो जाती हैं
फिर, इस साल की शुरुआत में, मुझे “कोरोनरी” हुआ - यह मेरा तीसरा दिल का दौरा था। यह ठीक उस वक्त हुआ जब मैं चेन्नई के पास स्थित एक अच्छे रिटायरमेंट कम्युनिटी (सेवानिवृत्ति समुदाय) में रहने के लिए जाने वाली थी। मैं उत्सुकता से सोच रही थी कि अब मैं भजन समूहों में गाने गाऊंगी, अन्य वरिष्ठ नागरिकों के साथ ताश खेलूंगी, और आम तौर पर समुदाय में रहने का मज़ा लूंगी। फिर लगा, ठीक है, स्वास्थ्य संकट के कारण कुछ देरी हो गयी है, पर कोई बात नहीं।
और फिर मेरे सपने कोरोनावायरस की वजह से ढहने लगे और ताला-बंद हो गए। हममें से बहुत से लोग जो अकेले रहते हैं, अब इस कभी न खत्म होने वाली स्थिति का सामना कर रहे हैं।
भारत में होने पर भी बच्चे आपके पास नहीं पहुँच सकते, कभी-कभी उसी शहर में रहने पर भी नहीं आ सकते। निराशा और आँसू बहाने से कुछ नहीं होगा, न आपको, और न ही बच्चों को - वे भी हताश हैं।
कोविड -19 के दौरान अकेले रहने वाले बुजुर्गों की चुनौतियां
मैं स्वयं एक हृदय रोग विशेषज्ञ (कार्डियोलॉजिस्ट) हूँ और मैंने कोरोनरी केयर यूनिट में दो दशक बिताए थे। मुझे उन रोगियों की समस्याओं से निपटना पड़ता था जो काम से लंबे समय तक विराम नहीं ले सकते थे - यह अवकाश लेने की विलासिता उनकी व्यक्तिगत स्थिति में संभव नहीं थी। इसलिए मैंने पुनर्वास( रीहैब) क्लिनिक शुरू किया और चलाया। मैं रोज सोचती थी कि विकलांगों और सीमित क्षमता वाले लोगों को उनके दैनिक जीवन में सहायता करने के लिए कि कौन से तरीके काम आ सकते हैं।
ये चुनौतियां सिर्फ व्यावहारिक या भौतिक नहीं हैं, उन में एक बड़ा मनोवैज्ञानिक घटक भी है। हममें से अधिकांश उम्र बढ़ने वाले लोगों ने अपने घर को सुरक्षित बनाने के बारे में उपदेशों को सुना होगा - जैसे कि हैण्ड-रेल लगाना, नॉन-स्लिप फ्लोर आदि। लेकिन हमें कोरोनोवायरस स्थिति से उत्पन्न चुनौतोयों का सामना नहीं करना पड़ा था - कोई रसोइया उपलब्ध नहीं है, किराने का सामान लाना कितना मुश्किल हो गया है, पड़ोसियों और शहर में रहने वाले भतीजी या भतीजों की मदद लेने के लिए किस तरह से योजना बनानी होगी और कौन से संसाधन कहाँ मिलते हैं, यह समझना होगा, इत्यादि।
हार्ट अटैक के बाद के कॉन्सवलेंस (फिर से स्वस्थ होने के लिए जरूरी समय, साधन और क्रियाएं) की तैयारी कैसे करें
हालत ऐसी होने के बावजूद, हम अच्छी योजना बनाकर अपनी उदासी को दूर कर सकते हैं। तो प्रस्तुत हैं कुछ विचार - चिकित्सा संबंधी, व्यावहारिक और दार्शनिक - जिन से आप कोरोना के माहौल में तैयार हो पायें जिन्दगी के उस चरण के लिए जिस में आप दिल के दौरे से उभर कर फिर स्वस्थ हो पायेंगे (आपका कोरोनरी कॉन्सवलेंस)।
- फोन नंबरों की एक सूची बनाएं और इसे इस तरह प्रदर्शित करें ताकि कोई भी इसे तुरंत देख सके।
- अपनी दवाओं की एक सूची बनाएं, जिसमें हर दवा की खुराक, डॉक्टर का नाम और फोन नंबर शामिल हैं।
- स कोई देखभालकर्ता है, तो उसे बताएं कि आप बाथरूम में प्रवेश कर रहे हैं। यदि उन्हें लगे की आपको कुछ हो गया है तो वे अन्दर आ सकेंगे। याद रहे, वरिष्ठ नागरिकों में कई हादसे बाथरूम में होते हैं - यह एक बात है यदि आप बाथरूम के फर्श पर मृत पड़े है (तब आपको कोई चिंता नहीं है) - लेकिन यदि आप बाथरूम के फर्श पर टूटी हड्डी या घावों से बहते खून के बीच असहाय पड़े हैं और बाथरूम का दरवाज़ा खुल नहीं सके तो यह एक भयानक स्थिति है। मैं हमेशा परिवारों से कहती हूं कि जिन घरों में वरिष्ठ नागरिक हैं उन में बाथरूम का दरवाज़ा बाहर की तरफ खुलना चाहिए।
- अगर आपको एनजाइना है तो सभी कमरों में आपातकाल में जीभ के नीचे रखने वाली दवा जरूर रखें। घर के लोगों को हमेशा पता रहना चाहिए कि इमरजेंसी वाली वह दवा कहां है। जब मैं यात्रा पर जाती थी तो मैं अपने ड्राइवर को भी दवा रखने के लिए देती थी - बेशक, यात्रा की संभावना तो सिर्फ कोरोना से पहले के दिनों की बात है।
- अपनी दुर्बलताओं और तकलीफों से निपटने के लिए अपनी क्षमताओं का आकलन करें - चाहे वह आपके घुटने, आपकी पीठ या आपके दिल की समस्या हो। सावधानीपूर्वक निरीक्षण करें कि किन गतिविधियों से और उनके किस स्तर पर आपको दर्द या अन्य तकलीफ होती है - और उस स्तर से नीचे ही रहें।
- आत्म-देखभाल गतिविधियों के लिए आपको क्या करना है, यह ठीक से जानें और उसी के अनुसार अपने घर के अंदर अपने कार्यों की योजना बनाएं। यदि आप घर में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा रहे हैं, तो पहले से सोचें, क्या आपको रास्ते में कुछ और लेना है? सुविधा रहे और चोट न लगे, इस के लिए उचित जगहों पर कुर्सियां या स्टूल रखें ताकि यदि आप थक रहे हों तो आप वहां बीच में आराम कर सकें । जैसे कि मैं पहले कहा था, आप को थकान हो, उस स्तर तक खुद को न पहुँचने दें। याद रखें, यदि आप कुछ योजना बनाने से खुद को ठीक रख सकते हैं तो बीमार पड़ना "बेवकूफी" है!
- अपने आप को सरल सिलाई और इस तरह के कामों में व्यस्त रखें - भले ही वह बेडस्प्रेड या रसोई के कपड़े की मरम्मत हो। मैं टीवी देखते समय इस तरह के काम करती हूँ। मैंने इस तरह कपड़े के टुकड़ों से मास्क की सिलाई की है और उन्हें सुन्दर बनाने के लिए किनारों में बॉर्डर के लिए रंगीन टुकड़े भी जोड़े हैं। मैं उन्हें अपने अपार्टमेंट के चौकीदार की मदद से राहगीरों में बँटवाती हूं।
- मेरे घर में बहुत सारी पुस्तकों से भरी अलमारियां हैं - ये पुस्तकें मुझे हर यात्रा पर मिलीं, मेहमानों से मिलीं हैं। यदि आपका घर भी पुस्तकों से भरा है, तो यकीनन आप भी कुछ ऐसी किताबों को फिर से पढ़ने का आनंद ले सकते हैं, जिन्हें आप बहुत पहले पढ़ चुके हैं। पुरानी यादें फिर से ताजा करने से बहुत सुकून मिलता है, ख़ास तौर से ऐसे समय में जब और कुछ अच्छा नजर नहीं आ रहा हो।
- यदि आप कंप्यूटर के इस्तेमाल में माहिर हैं, (मैं नहीं हूं), तो आप यूट्यूब पर दिलचस्प चीजें देख सकते हैं या संगीत सुन सकते हैं। कंप्यूटर पर गेम खेलने के बारे में सोचें, जैसे कि कंप्यूटर के साथ स्क्रैबल खेलना जैसे मैं लगातार करती हूं। अपनी मानसिक मांसपेशियों को ठीक रखें, वे आपका सबसे मजबूत सहारा हैं। मैं क्रॉसवर्ड पज़ल्स भी करती हूं, जो मस्तिष्क की कोशिकाओं के व्यायाम के लिए एक शानदार तरीका है।
- हर रोज किसी मित्र या रिश्तेदार को कॉल करें, और कोशिश करें कि कोरोना के बारे में बात न करें। एक आसान दिनचर्या निर्धारित करें, कठिन दिनचर्या न चुनें, पर फिर कोशिश करें कि उस का नियमित पालन करें।
- ध्यान रहे कि ठीक से खाएं और खाना स्वादिष्ट भी हो - जिस हद तक इन कोरोना के दिनों में संभव हो। यदि आप खाना भेजने वाली सेवाओं का इस्तेमाल कर रहें हों तो एक से अधिक चुनें ताकि आपको अलग-अलग तरह के व्यंजन मिल सकें ।
- अच्छा महसूस करने का प्रयास करें (“फील गुड”) और इस सद्भावना को दूसरों तक पहुंचाएं - अपने दरवाजे पर आने वाले लोगों के साथ अच्छी तरह से पेश हों। याद रखें कि सब लोग - डिलीवरी बॉय, इलेक्ट्रीशियन या शहर के स्वास्थ्य देखभाल निरीक्षक - सभी कोरोनोवायरस के तनाव में रह रहे हैं; उनको अच्छा लगेगा यदि कोई उनके दिन को आसान और सुहावना बनाने के लिए कुछ कोशिश करे। मैं उन्हें अपने घर के बने मास्क और अन्य छोटे-छोटे उपहार देती हूं और जब भी संभव हो (उनके साथ एक सुरक्षित सामाजिक दूरी रखते हुए) थोड़ी बहुत बातें भी करती हूं। एक मुस्कुराहट से, एक नमस्ते से, उनका दिन पहले से कुछ बेहतर हो सकता है। और यह आपके लिए भी अच्छा है, क्योंकि दूसरों के साथ कुछ अच्छे पल बिताने से आपका मूड भी बेहतर होगा।
- सिर्फ इसलिए कि आप घर में ही सीमित हैं और कोई मिलने-जुलने नहीं आ सकता, खुद को दिन भर बस नाइटी या गाउन पहने बैठ कर न बिताएं। अपने बाल काढें, काजल लगाएं, अच्छी साडी मैचिंग ब्लाउज के साथ पहनें। शाम को फिर तरोताजा हों - इस से आपको अच्छा लगेगा, भले ही देखने वाला कोई नहीं है।
रबर मैट्रेस की तरह बनें
हर समस्या का एक समाधान होता है, बस हमें यह नहीं पता होता है कि समाधान क्या है या समस्या हल कब होगी। कोरोना अन्य प्राकृतिक आपदाओं की तरह नहीं है, जो तीव्र लेकिन अल्पकालिक हैं, जहां आप आपदा के बीतने पर उठते हैं और फिर से सामान्य जीवन पर लौट आते हैं। यहां तक कि द्वितीय विश्व युद्ध (जो हममें से अधिकांश वरिष्ठों ने अपने बचपन में देखा था) का भी एक स्पष्ट अंत था। आज यह वैश्विक महामारी एक ऐसा अनुभव है जिसका अंत नहीं नजर आ रहा - हमें इसके साथ रहना सीखना होगा। इसे अपनी पीठ में एक ऐसी खुजली की तरह समझें जिसे आप खुजा नहीं पा रहे - न तो अनदेखा कर पा रहे हैं, न भूल पा रहे हैं - आप बस इसके साथ रहना सीख रहे हैं। हमें ऐसे रबर के गद्दे की तरह होना चाहिए जो दबाव पड़ने पर दब जाए लेकिन दबाव हटने के बाद वापस पहले वाले आकार पर आ जाए। इस सोच से हमें कठिन हालात से फिर से सामान्य होने में आसानी होगी - चाहे समस्या कोरोना हो या कोरोनरी - या दोनों!
डॉ। कल्याणी नित्यानंदन, एमडी, 1969 में तमिलनाडु में पहली कार्डियक कोरोनरी इंटेंसिव केयर यूनिट (कार्डियक कोरोनरी गहन देखभाल इकाई) स्थापित करने में सहायक थीं। इसके कुछ ही देर बाद उन्होंने राज्य की पहली कार्डियक पुनर्वास सुविधा शुरू की। बाद के वर्षों में उन्होंने चेन्नई में इको-कार्डियोग्राफी की शुरुआत का भी बीड़ा उठाया। अब 85 साल की उम्र में, उन्होंने जीवन की अनिश्चितताओं का सामना कैसे करा, इस के बारे में सोचती हैं, विशेष रूप से हृदय रोगियों की इस महामारी की स्थिति में हो रही कठिनाईयों से सम्बंधित।