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पांच साल पहले 45 वर्षीय सुनंदिता का जीवन बढ़िया चल रहा था जब उन्हें पार्किंसंस रोग का निदान मिला। निदान पर विश्वास कर पाना मुश्किल था! इस निदान से उनका जीवन बहुत प्रतिबंधित हो गया। चुनौतियों से जूझना और उचित जीवनशैली के बदलाव कर पाना कठिन था। लेख में पेश हैं उनके अनुभव और विचार।
कृपया हमें अपने बारे में कुछ बताएं।
मैं एक मध्यमवर्गीय भारतीय बंगाली परिवार से हूं। मेरा जन्म और पालन-पोषण कोलकाता के उपनगरीय इलाके में हुआ है। मेरे पिता केंद्र सरकार में कार्यरत थे और मां एक स्कूली शिक्षक थीं जो बाद में गृहिणी बनीं। मैंने 2011 तक दिल्ली में एक राष्ट्रीय समाचार एजेंसी में काम किया, और उसके बाद सरकारी क्षेत्र में कम्युनिकेशन एग्जीक्यूटिव के रूप में काम करने लगी।
अपने शुरुआती लक्षणों का विस्तार से वर्णन करें।
पांच साल से अधिक समय पहले, मुझे अपने बाएं पैर में कुछ कठिनाई महसूस होने लगी। मैं चलते समय अनजाने में अपने बाएं पैर को घसीट रही थी। शुरू में दर्द नहीं था और मैंने कुछ देर तक इसे नजरअंदाज कर दिया, हालांकि दोस्त कह रहे थे कि मैं लंगड़ा रही हूं। यह धीरे-धीरे बढ़ता गया और मैंने एक और बात भी देखी - मेरे बाएं पैर का पाँचवाँ अंगूठा थोड़ा मुड़ा हुआ था और चौथे अंगूठे से चिपक गया था। अगर मैं जोर लगाती तो मैं इसे सीधा कर सकती थी, लेकिन कुछ न करने पर यह फिर से अपने मुड़े हुए पोजीशन में वापस चला जाता था। मैं एक हड्डी रोग चिकित्सक के पास गयी, और उन्होंने मेरी स्थिति का निदान विटामिन डी की कमी के रूप में किया, और वास्तव में, मेरा विटामिन डी बहुत कम था। कुछ हफ्तों के उपचार के बाद, मेरे विटामिन डी के स्तर में सुधार हुआ, लेकिन अन्य समस्याएं बनी रहीं। तब तक मेरे बाईं के कंधे में तकलीफ हो गयी थी - इसमें एक दर्दनाक फ्रोजन शोल्डर विकसित हो चुका था। मैं एक हड्डी और जोड़ों के रोग के विशेषज्ञ के पास गई, मेरा रूमेटोइड आर्थराइटिस के लिए परीक्षण किया गया, फिजियोथेरेपी सत्र निर्धारित करे गए, पर इन फिजियोथेरेपी सत्रों से मुझे कोई फायदा नहीं हुआ।
आपको फिर क्या निदान दिया गया, और आपके लिए कौन सी दवाएं निर्धारित की गईं?
तब तक मेरे बाएं हाथ की उंगलियों में कभी-कभी कम्पन (ट्रेमर) होने लगी थी और किसी ने न्यूरोलॉजिस्ट (तंत्रिका रोग विशेषज्ञ) से मिलने का सुझाव दिया। नई दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल में एक न्यूरोलॉजिस्ट द्वारा मेरी स्थिति के लिए मुझे पार्किंसनिज़्म का निदान दिया गया। मुझे इस से तनाव हुआ और मैं अपने परिवार के पास रहने के लिए कोलकाता गयी (मेरी माँ और दो बड़ी बहनें वहाँ रहती हैं) । वहां मैं एक प्रतिष्ठित न्यूरोलॉजिस्ट से मिलने गई, और उन्होंने आवश्यक परीक्षणों के बाद उसी निदान की पुष्टि की और मुझे लेवोडोपा-कार्बिडोपा दवा शुरू करने के लिए कहा। मैं अभी भी निदान के प्रति अविश्वास की स्थिति में थी, और अंततः बैंगलोर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज (NIMHANS), में चेक-अप के लिए गई, जहाँ मुझे यंग ऑनसेट पार्किंसन रोग का निदान मिला। यहां, मुझे यह भी पता चला कि मेरे दो अन्य मुद्दे (जिनका मैं कुछ समय से सामना कर रही थी) भी पार्किंसन से जुड़े हैं-- सूंघ पाने की क्षमता में कमी और लिखावट का तंग और असमान होना। तब तक मैंने सोचा था कि पहला किसी प्रकार की पुरानी नाक की रुकावट का परिणाम था (हालांकि मुझे इस बारे में संदेह था कि यह इतने लंबे समय तक कैसे रह सकता है) और दूसरा हमारे वर्तमान कीबोर्ड के युग में हस्तलेखन अभ्यास की कमी के कारण था।.
आपके निदान ने आपकी जीवन की योजना को कैसे बदला?
काम - शुरू में तो इसका इतना असर नहीं हुआ सिवाय इसके कि काम का दबाव होने पर मैं कभी-कभी अपनी दवा भूल जाती, लेकिन समय के साथ, अन्य जटिलताएँ होने लगीं, और कठिनाइयां बढ़ती गईं। अब, कभी-कभी मेरे चलने फिरने की गति धीमी होती है और शरीर में जकड़न होती है। दुश्चिंता अधिक रहती है। काम का दबाव नहीं होने पर भी चिंता बढ़ जाती है। मुझे लिखने और टाइप करने में कई बार मुश्किल होती है, खासकर अगर किसी कारण से मेरी दवा लेने में कुछ देरी हुई हो। फिर भी मैं अपने सहकर्मियों और वरिष्ठों की मदद से पेशेवर मोर्चे पर काम जारी रख रही हूं - मेरे सहकर्मी और वरिष्ठ मेरी स्थिति समझते हैं और ख़याल रखते हैं, और मुझे दोस्तों और परिवार से भी अपार समर्थन मिला है। लेकिन पहले जहां मैं सोचती थी कि मुझे और काम करना चाहिए, अब मेरा लक्ष्य समय पर काम पूरा कर पाने का ही रहता है। स्पीच-टू-टेक्स्ट सॉफ्टवेयर जैसे आधुनिक उपकरण वरदान साबित हो रहे हैं।
विवाह और पारिवारिक रिश्ते: विवाह करने का ख़याल न तो पहले था और न ही अब है, उस संबंध में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। मैं पार्किन्सन के बाद से अपने परिवार के अधिक करीब हो गयी हूं, और वे एक बहुत बड़ा समर्थन का स्रोत हैं। लेकिन कभी-कभी मुझे लगता है कि मैं भावनात्मक रूप से उन पर अधिक निर्भर होती जा रही हूं, जो मुझे निराश करता है क्योंकि मैं उन पर बोझ नहीं डालना चाहती। मेरी माँ, जो 90 वर्ष की हैं, मेरे बारे में बहुत चिंतित रहती हैं और मैं असहाय महसूस करती हूँ क्योंकि मैं उन्हें इस बात का कोई आश्वासन नहीं दे सकती हूँ कि मेरी स्थिति में सुधार होगा।
क्या आप कोई घटना साझा करना चाहेंगी?
पार्किन्सन होने के बाद मैंने पाया है कि लोग मूल रूप से अच्छे होते हैं और आपकी मदद करना चाहते हैं। चलने-फिरने की अकड़न और डिस्केनेसिया (हाथों और पैरों का बिना इच्छा किए हिलना) के दिनों में, ऐसे कई उदाहरण हैं जब अनजान लोगों ने मेरी मदद करने के लिए अत्यधिक कोशिश की। हाल ही में, अपने शहर जाने की यात्रा के दौरान, मुझे दिल्ली हवाई अड्डे पर व्हीलचेयर सहायता का विकल्प चुनना पड़ा और मैं वास्तव में इस बात से बहुत परेशान थी। मैंने व्हीलचेयर के लिए सहायता देने वाले आदमी से कहा कि मुझे बुरा लग रहा है कि मेरी उम्र में मुझे यह सहारा लेना पड़ रहा है। वह युवक लगभग बीसवें दशक का प्रतीत हो रहा था - उस ने कहा, "मैडम इसके बारे में अधिक मत सोचिये। यदि आपके पास अन्य विकल्प होते तो आप इसे नहीं लेतीं। बस जो जरूरत है, वह करें। हो सकता है अगली बार आप ठीक होंगी।" उसकी बात ने मेरे दिल को छू लिया।
कोई संबंधित जटिलताएं या सह-रुग्णताएं जो आप साझा करना चाहेंगी? आप उन्हें कैसे मैनेज करती हैं?
संबंधित जटिलताएं ज्यादातर नींद विकार और कई बार बढ़ी हुई चिंता के रूप में होती हैं। मैंने कुछ बार मनोवैज्ञानिकों/ कौन्सेलोर्स की मदद ली है।
आपका एक सामान्य दिन कैसा होता है?
6 बजे उठना, योग करना, पढ़ना और संगीत सुनना, ऑफिस के लिए तैयार होना, सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे (धिकांश दिन) तक काम करना, घर लौटना, परिवार वालों और दोस्तों को फोन करना, अपनी हॉबी और सोशल मीडिया के लिए कुछ समय निकालना, रात का खाना, सो जाने के प्रयास। यह वास्तव में एक आदर्श दिन है। कई दिन बेतरतीब ढंग से बीतते हैं। सप्ताहांत में, मैं दोस्तों से मिलती थी, फिल्म देखती थी, हेरिटेज वाक पर जाती थी (मुझे दिल्ली के स्मारक बहुत पसंद हैं), हालाँकि पिछले दो वर्षों से लॉक-डाउन प्रतिबंधों ने ऐसी योजनाओं को प्रतिबंधित किया है।
दिन का सबसे चुनौतीपूर्ण समय कौन सा है?
ऑफिस के लिए तैयार होना, क्योंकि मैं जितना अधिक जल्दी करने और समय पर काम करने की कोशिश करती हूं, उतना ही शरीर के अकड़न से पीड़ित होती हूँ। एक जोड़ी जूते पहनने जैसी एक साधारण काम में कुछ दिनों मुझे बहुत अधिक समय लगता है क्योंकि मुझे अपने पैर स्नीकर्स में घुसाने में मुश्किल होती है। मैं लगातार ऐसे जूतों की तलाश में हूं जो आरामदायक हों और जिनसे संतुलन बनाए रखने में तकलीफ न हो, जो गिरने का कारण न बने। हाल में मैं कुछ बार गिर चुकी हूँ।
कौन सी गतिविधियाँ सबसे कठिन हैं?
लेखन और टाइपिंग। मेरी लिखावट अब ऐसी लगती है मानो स्याही में डुबोई हुई एक चींटी कागज़ पर चली हो। कम से कम मेरे मामले में, नींद भी एक बहुत बड़ी समस्या है। मैंने नींद की गोली को छोड़कर लगभग सब तरीके आजमाने की कोशिश की है, और असफल रही हूँ।
क्या आपने अपनी स्थिति को प्रबंधन करते समय कुछ ऐसा सीखा है जो आप सोचती हैं कि आप पहले जानतीं तो अच्छा होता?
काश मैंने चीजों की दिखावट के बजाय इस बात पर जोर दिया होता कि वे मेरी स्थिति में इस्तेमाल करने में आसान हों। उदाहरण के लिए, कई बड़े बटन वाली डेनिम शर्ट अच्छी लग सकती है, लेकिन कांपती, अकड़ी उंगलियों के लिए इन्हें बंद करना या खोलना मुश्किल हैं। एक बड़ा बैग घर की चाबी के लिए आदर्श स्थान नहीं है क्योंकि हिलते हाथ से, ठीक से सहयोग न दे रही उँगलियों से ऐसे बैग में चाबी टटोलने में दिक्कत हो सकती है।
कोई सीख जो आप साझा करना चाहेंगी?
कुछ दिन बुरे होंगे। लेकिन कुछ दिन बेहतर भी होंगे। और अगर अच्छे दिन न भी हों, तो लगे रहने के सिवाय और कोई चारा है क्या?
आप किस तरह के विशेषज्ञों से सलाह लेती हैं और कितनी बार? स्थिति का प्रबंधन करने में आपकी सहायता के लिए आप किन संसाधनों का उपयोग करती हैं?
मैं हर 2-3 महीने में एक बार अपने न्यूरोलॉजिस्ट से सलाह लेती हूं और जरूरत पड़ने पर एक काउंसलर से भी सलाह लेती हूं। मैं निर्धारित दवा लेती हूं और योग का अभ्यास कर रही हूं, जो आजकल ज्यादातर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर हो रहा है, और मैं वाल्किंग भी करती हूं।
क्या आपको अपनी हालत के कारण अपनी जीवनशैली में कुछ बदलाव करने पड़े हैं?
एक बड़ा बदलाव जो मुझे करना था, वह था खुद को अधिक सक्रिय जीवन जीने और फिट रहने के लिए प्रेरित करना। पहले, मैं सुबह की सैर के लिए जाने में आलस कर जाती थी और बाहर जाने के बजाय फेसबुक पर स्क्रॉल करना पसंद करती थी। लेकिन पार्किन्सन के निदान के बाद, मैंने दिल्ली के लोदी गार्डन में नियमित सैर और सुबह योग सत्र शुरू किये। इसके वास्तव में बहुत सकारात्मक परिणाम हुए। योग के बाद, मैं वास्तव में बेहतर और अधिक केंद्रित और तनावमुक्त महसूस करने लगी। लेकिन मैं ऑनलाइन योग सत्रों से पर्याप्त रूप से प्रेरित महसूस नहीं करती और मुझे खुद को प्रेरित करते रहने की आवश्यकता होती है। मैंने वॉकथॉन में भी शामिल होना शुरू करा, इस से मुझे खुशी का अनुभव होता था और लगता था कि मैं कुछ कर पाने में सफल हूँ । मैंने कुछ वर्चुअल वॉकथॉन भी पूरे किए। मैंने न्यूरोथेरेपी (मस्तिष्क के स्वास्थ्य में सुधार के लिए गतिविधियों और अभ्यासों की श्रृंखला) की भी कोशिश की है।
पर मैं 2007 से काफी बार अकेला रह रही हूँ। मुझे यह पसंद है। लेकिन अब, कभी-कभी, मुझे लगता है कि मैं अधिक समय तक इस तरह अकेले नहीं रह पाऊँगी। हो सकता है कि एक अन्य जीवनशैली के बदलाव की जरूरत होगी।
क्या आपकी स्थिति का सामना करना भावनात्मक रूप से कठिन रहा है? आपने इससे कैसे निपटा है?
हाँ, निश्चित रूप से यह मुश्किल रहा है। शुरू में मैंने सकारात्मक होने की कोशिश की, खुद से कहा कि मैं इसे संभाल लूंगी और जितना संभव हो उतना भरपूर जीवन जियूंगी। लेकिन जैसे-जैसे साल बीतते गए, भविष्य के लिए डर, अनिश्चितता और वर्तमान स्थिति के बारे में चिंताएं तेजी से बढ़ती गईं। पार्किन्सन रोग अपने साथ अतिरिक्त जटिलताओं की एक पूरी श्रृंखला लाता है और कुछ ऐसे दिन होते हैं जब निराशा हावी हो जाती है। उस समय, उपदेश और प्रेरणात्मक वाक्य कोई समाधान नहीं देते हैं। अच्छी इरादे से दी गयी परन्तु बेकार सलाह - जैसे "सुरंग के अंत में प्रकाश देखें" - बेमतलब लगती है।
मैंने कुछ बार पेशेवर मदद ली है। मित्र और परिवार भी बेहद मददगार रहे हैं। मैंने पाया है कि संगीत आपको शांत करने में मदद करता है, और लेखन से भी सकून मिलता है।
वाक्य पूरा करें
जीवन में मेरा नीति वाक्य: जीवित रहना
मेरी प्रेरणा का स्रोत : बाधा दौड़ में दौड़ने वाले (हर्डल रेसर्स)
कोविड - एक वरदान या अभिशाप: अत्यधिक दर्दनाक
अब तक का सबसे मजेदार पल: लोडिंग ………… (यह पल तो भविष्य में है)
सबसे कष्टप्रद क्षण: जब मैं अपने डॉक्टर के कक्ष में एक शर्मनाक और दर्दनाक तरह से गिरी थी!
किसी से सुनी सबसे अच्छी बात: उदास महसूस करने के लिए खुद को दोषी महसूस न करें
मुझे प्रिय है: यह वाक्यांश सुनना, "आराम से!"
मुझे नफरत है : सोशल मीडिया के चीयर-अप संदेश
मुझे डर है: भविष्य के बारे में
मेरा सबसे बड़ा सहारा: लेवोडोपा
मुझे मिला सबसे अच्छा उपहार: संयुक्त राज्य अमेरिका के एक दोस्त द्वारा भेजे गए पार्किन्सन के लिए विशेष जूते
मेरी इच्छा है: पार्किन्सन निदान से पहले के अपने जीवन में टाइम ट्रेवल (समय यात्रा) द्वारा पहुंचना