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आगा खान हेल्थ सर्विसेज इंडिया में कम्युनिटी हेल्थ एंड रिसर्च की डायरेक्टर, डॉ। स्वाति झा बच्चों और किशोरों में कोविड-19 के प्रबंधन के बारे में सवालों के जवाब देती हैं।
प्रेस रिपोर्ट के अनुसार भारत में वर्तमान 2021 कोविड लहर में बच्चों में कोविड संक्रमण के दर में कुछ वृद्धि हुई है, जिससे हर कोई बहुत चिंतित है। इस को सही सन्दर्भ में देखने के लिए ये रहे कुछ आंकड़े: जुलाई 2020 में कोविड संक्रमण के सभी केस में 0-20 वर्षों के बच्चे के केस 3% से कम थे। सितंबर 2020 में देश के सभी केस में 17 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के केस 17% थे। मार्च 2021 में, मुंबई (महाराष्ट्र) में 20 वर्ष तक के बच्चों का कोविड का सभी केस में 20% हिस्सा है।
बच्चों में कोविड संक्रमण में दिख रही इस वृद्धि के कई संभव कारण हैं। एक बात तो यह है कि सभी आयु वर्गों में संक्रमण के दर में वृद्धि हो रही है इसलिए बच्चों में भी अब कोविड ज्यादा नजर आ रहा है। यह भी हो सकता है कि यूके वायरस (बी.1.1.7 वेरिएंट) सामान्य वायरस के मुकाबले बच्चों को संक्रमित करने में अधिक सक्षम हो। एक और बात यह है कि एक साल से कोविड अनुरूप व्यवहार का अनुपालन करने के बाद परेशान बच्चे अब मास्क और उचित दूरी जैसे नियमों का पालन न कर पा रहे हों।
नवजात शिशु:
नवजात शिशुओं को भी कोविड हो सकता है। अध्ययनों में देखा गया है कि प्रसव के दौरान या उसके बाद संक्रमित माँ से या अन्य संक्रमण के स्रोतों से संपर्क से नवजात शिशु को कोविड होने का खतरा होता है, और इसलिए प्रसव और उसके बाद उचित सुरक्षा के तरीके अपनाने चाहिएं। कोविड वाले नवजात शिशिओं में अधिकाँश केस में कोविड के कोई लक्षण नहीं होते (एसिमटोमैटिक केस) । यदि माँ कोविड से संक्रमित हो, तो शिशु उसी कमरे में रहे तो संचरण का जोखिम अधिक होता है, पर संक्रमित मां यदि कोविड-अनुरूप सावधानी बरते तो उसे स्तनपान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
लक्षण कैसे प्रस्तुत होते हैं:
कोविड वाले बच्चों में सबसे आम स्थिति यह देखी जाती है कि केस “एसिमटोमैटिक” है - बच्चे में कोविड के कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। इस के बाद की संख्या ऐसे केसों की है जिन में बुखार, पेट और पाचन की तकलीफें (जठरांत्र, गैस्ट्रोइंटेस्टिनल) और हल्की सांस संबंधी तकलीफें नजर आती हैं। सूंघने या स्वाद संबंधी क्षमता में कमी होने का छोटे बच्चों में पता चलना मुश्किल है इसलिए ये लक्षण कम बार रिपोर्ट होते हैं। कोविड के अधिक गंभीर मामलों में सुस्ती, सोचने या ध्यान लगा पाने में समस्या, सीज़र, गला खराब होना, थकान, मांसपेशियों का दर्द, पेशाब की मात्रा बहुत कम हो जाना, और चकत्ता (रैश, त्वचा पर लाल चकत्ते) देखे जाते हैं।
दुनिया भर में बच्चों में 1-3% से कम मामलों में गंभीर या अतिगंभीर बीमारी दिखाई देती है - इन केस में देखी जाने वाली कुछ समस्याएं हैं एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (तीव्र श्वसन संकट संलक्षण), रेस्पिरेटरी फेलियर (श्वसन विफलता), शॉक, हृदय रोग, मल्टीऑर्गन डिसफंक्शन और एमआईएस-सी (मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम इन चिल्ड्रेन)। बच्चों में इतने गंभीर कोविड का होना दुर्लभ है, लेकिन अगर हो तो यह एक गंभीर जटिलता है। लगभग 6% कोविड वाले बच्चों में वायरल सह-संक्रमण की रिपोर्ट मिली है। 9.9 - 42% कोविड वाले बच्चों के केस अन्य गंभीर बीमारियों (सह-रुग्णता, कोमोर्बिडिटीज़) से जुड़े हैं - जैसे कि कैंसर, नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम (गुर्दे का रोग), या किडनी, फेफड़े या लीवर की चिरकालिक गंभीर बीमारी। यह संभावना ऊंची है कि ये पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याएँ इन बच्चों में रुग्णता और गंभीर लक्षणों का कारण हैं, और बच्चे को कोविड 19 भी होना ऊपर से एक अतिरिक्त समस्या है।
प्रबंधन:
अधिकांश कोविड वाले बच्चों को देखभाल की आवश्यकता होती है, जिसमें शामिल है पर्याप्त तरल पदार्थ (जलयोजन) और पोषण और बुखार कम करने वाली दवाएं (एंटीपीयरेटिक) । अगर कोविड के साथ-साथ अन्य बीमारियाँ (कोमॉर्बिडिटीज) न हों और घर की परिस्थिति सही देखभाल के अनुकूल हो तो बच्चे के कोविड को घर पर प्रबंधित किया जा सकता है। एक हेल्थ केयर प्रदाता से हमेशा सलाह ली जानी चाहिए ताकि यदि आवश्यक हो, तो उच्च स्तर की देखभाल समय पर प्रदान की जा सके। मध्यम और गंभीर केस में बच्चे को ऑक्सीजन की आवश्यकता भी होती है, और वायु से कोविड -19 प्रसार को रोकने के लिए सभी सावधानियों लेनी होती हैं । गंभीर मामलों में स्टेरॉयड मददगार हो सकते हैं। मध्यम से गंभीर मामलों में, जिन में जोखिम कारक मौजूद हैं, उनमें एंटीकोआग्यूलेशन की आवश्यकता हो सकती है। बच्चों में एंटीवायरल और इम्युनोमोड्यूलेटर की प्रभावकारिता और सुरक्षा पर अधिक डेटा की आवश्यकता है। अस्पताल से डिस्चार्ज के मानदंड वयस्कों की तरह ही हैं।
बच्चों को अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता:
माता-पिता को कोविड वाले बच्चों में निम्नलिखित लक्षणों के प्रति सतर्क रहना चाहिए - अत्यधिक कमजोरी, सांस लेने में तकलीफ, बच्चा खाने / पीने में असमर्थ हो, सोचने या ध्यान लगा पाने में दिक्कत, या माता-पिता को ऐसा लगे कि बच्चे की तबीयत ठीक नहीं है। यदि वे इन से किसी भी लक्षण को देखें तो उन्हें बच्चे को अस्पताल ले जाना चाहिए।
मानसिक स्वास्थ्य और कोविड -19:
इन दिनों सामान्य और कोविड-19 से संक्रमित बच्चों में मानसिक तनाव बढ़ रहा है। इस का मुख्य स्रोत है माता-पिता से अलगाव के बारे में चिंता होना। यदि इस मानसिक तनाव से बच्चे की खुशहाली पर असर हो रहा है तो उचित हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
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अमेरिका में 12 साल और उससे अधिक उम्र के बच्चों में फाइजर, मॉडर्न और जेएंडजी वैक्सीन का परीक्षण किया जा रहा है। भारत बायोटेक के एंटी-कोरोनावायरस वैक्सीन 'कोवाक्सिन' को 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए, और सीरम वैक्सीन के 'कोविशिल्ड' को 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति मिल चुकी है।
References :
https://timesofindia.indiatimes.com/city/mumbai/maharashtras-cases-in-march-15500-up-to-age-10-among-11-20-its-40000/articleshow/81791703.cms
https://www.dnaindia.com/explainer/report-dna-explainer-covid-19-virus-affecting-more-children-this-time-symptoms-cause-and-solution-2885706
https://www.indianpediatrics.net/covidpapers.htm
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