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एआईआईएमएस अस्पताल के कर्मचारी विवेक कुमार सिंह कोविड-19 संक्रमण की एक असामान्य घटना में पूरी तरह से टीकाकरण (दोनों डोज़) के तीन सप्ताह बाद कोविड के लिए पॉजिटिव निकले। इस लेख में वे अपनी कहानी साझा करते हैं और संक्रमण के बावजूद जीवित रहने में मदद के लिए वैक्सीन के प्रति और अपने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एआईआईएम्एस /एम्स) के सहकर्मियों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं ।
वैक्सीन की दूसरी खुराक मिलने के 25 दिन बाद मेरा कोविड का टेस्ट पॉजिटिव निकला।
मुझे पहला शॉट 23 फरवरी 2021 को मिला था, दूसरा 25 मार्च 2021 को और 23 अप्रैल 2021 को मैं कोविड पॉजिटिव पाया गया। मैं उन कुछ बहुत ही कम केस में से एक हूं जो टीकाकरण की दो खुराक प्राप्त करने के तीन सप्ताह बाद संक्रमित हो गए। जब कोई व्यक्ति कोविड वैक्सीन के दूसरे डोज़ के बाद संक्रमित होता है तो इसे 'ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन’ कहा जाता है । ऐसा 10,000 में से करीब 3 केस में होता है जब टीके के बावजूद संक्रमण होता है और मैं इस अत्यंत दुर्लभ संख्या का हिस्सा हूं। चिकित्सा डेटा और रिकॉर्ड के अनुसार, महामारी में बहुत ही कम प्रतिशत में ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन होने की संभावना होती है।
मैं उन दुर्लभ ब्रेकथ्रू मामलों (केस) में से एक हूं।
Read in English: Saved by Covid Vaccine and Social Support
लक्षण
कोवैक्सिन की अपनी दो खुराकें लेने के बाद, मुझे यह जानकर संतोष था कि अब मुझमें कोरोना वायरस के प्रति प्रतिरोधक क्षमता का एक निश्चित स्तर है। दुर्भाग्य से, महामारी उससे कहीं अधिक जटिल निकली है।
परेशानी तब शुरू हुई जब मेरे बेटे, पत्नी और सास को तेज बुखार और अचानक खांसी हो गई। मुझे तुरंत कोविड का शक हुआ, क्योंकि हमारे हाउस हेल्प/ घर पर काम करने वाली ने अपने बीमार पड़ने की सूचना दी थी। लेकिन जिस बात के लिए मैं तैयार नहीं था वह यह था कि अगले दिन मुझे भी बुखार, गले में खराश और दस्त हो गए। इसने मुझे चौंका दिया।
चूंकि अप्रैल में दिल्ली में हमारे चारों ओर कोविड की दूसरी लहर चल रही थी, इसलिए मैंने समय बर्बाद नहीं किया और हम चारों के लिए आरटी-पीसीआर परीक्षण का आयोजन किया। मैंने आरटी-पीसीआर के नतीजे आने से पहले ही डॉक्टरों से संपर्क किया और दवा शुरू कर दी। जब रिपोर्ट आई, तो हम सभी का रिजल्ट पॉजिटिव था - मेरा भी।
मेरे परिवार वाले 3 दिन में ठीक हो गया, लेकिन मेरा उच्च श्रेणी का बुखार ठीक नहीं हो रहा था। मुझे शरीर में दर्द भी था, अत्यधिक पसीना भी आ रहा था और सोने में कठिनाई हो रही थी। मेरा एसपीओटू (रक्त ऑक्सीजन स्तर) 95-94 के आसपास मँडरा रहा था। चूंकि मैं अस्थमा का मरीज रहा हूं, इसलिए डॉक्टर ने मुझे पांचवें दिन स्टेरॉयड पर शुरू किया। मेरा बुखार आखिरकार कम होने लगा और मुझे बेहतर महसूस होने लगा।
साइनस अटैक
मैं ठीक हो रहा था, जब अपनी ही मूर्खता के कारण मैं फिर से बीमार पड़ गया। 23 अप्रैल के आसपास, जब मेरा कोविड टेस्ट पॉजिटिव आया था, तो दिल्ली का तापमान असहनीय तरह से बढ़ रहा था। चिलचिलाती गर्मी हो रही थी और एयर कंडीशनर के बिना रात में सोना मुश्किल हो रहा था। चूंकि लॉकडाउन के कारण कई महीनों से हमारे एयर कंडीशनर की सर्विस नहीं हुई थी, इसलिए मैंने कूलर की सफाई की और उसे चालू कर दिया। सफाई करने की प्रक्रिया ने मेरे साइनसाइटिस को भड़का दिया। मुझे गंभीर सिरदर्द, बंद नाक, और माथे पर और आंखों के आसपास दाबवेदना (टेंडरनेस) का विकास हुआ। मुझे डर था कि यह म्यूकोर्मिकोसिस (काला फंगस) का हमला था। लेकिन इसे खारिज कर दिया गया और मुझे साइनसाइटिस के लिए नियमित एंटीबायोटिक्स दी गयीं, जिस से मुझे कुछ ही दिनों में राहत मिल गई।
अधिक ऊंचा वायरल लोड
मैं अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एआईआईएमएस / एम्स अस्पताल) में एक मेडिकल सोशल सर्विस ऑफिसर (एमएसएसओ) हूं। हो सकता है कि यह संक्रमण मुझे वायरस के साथ बार-बार संपर्क में आने से ज्यादा वायरस लोड के कारण या किसी नए वेरिएंट के कारण हुआ हो। फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं और चिकित्सा कर्मचारियों को ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन का जोखिम ज्यादा रहता है। मेरे मामले में, हो सकता है कि मेरे अन्दर वायरल संक्रमण इस स्तर तक बढ़ गया हो कि मेरे एंटीबॉडी उससे नहीं लड़ सके। समस्या यह है कि वर्तमान में कोविड वायरस के बारे में हमारी जानकारी सीमित है और उपचार और उसके परिणाम को प्रभावित करने वाले कई कारक हैं। अपने काम के कारण मैं पहले से ही ऐसे माहौल में था जहां ट्रांसमिशन विशेष रूप से ऊंचा था।
लेकिन मैं बेहद शुक्रगुजार हूं कि मैं वैक्सीन की वजह से सुरक्षित रहा। मेरे कोविड के लक्षण कम गंभीर थे। मेरे केस में कोविड के साथ-साथ मुझे अस्थमा और साइनसिसिटिस भी थे जिस से मेरी स्थिति अधिक खराब हो सकती थी। मैंने अस्पताल में कुछ दिल दहला देने वाले मामले देखे हैं - जो लोग जीवित रहने के लिए कड़ा संघर्ष कर रहे हैं या जिन्होंने वायरस से लड़ते हुए दम तोड़ दिया है। यह सब देखना अत्यन्त पीड़ाजनक है।
एआईआईएमएस (एम्स) से समर्थन के प्रति आभार
मैं पिछले 8 साल से एम्स अस्पताल का कर्मचारी हूं। मेरा दिमाग इस बात को लेकर आश्वस्त था कि बचने का सबसे अच्छा मौका एम्स में है। हमारे संस्थान में मेडिकल सोशल सर्विस ऑफिसर के रूप में 50 लोग कार्यरत हैं। हमारा आपस में करीबी बंधन है। लगातार चिकित्सकीय सलाह प्राप्त करने के अलावा, मुझे काफी मनोवैज्ञानिक और सामाजिक समर्थन भी मिला। मुझे आश्वासन दिया गया कि अगर मुझे कभी अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी, तो मुझे अस्पताल में भरपूर सहायता और बेहतरीन देखभाल मिलेगी। जब मेरे आरटी-पीसीआर टेस्ट का रिजल्ट पॉजिटिव निकला, मुझे ऑक्सीमीटर की जरूरत थी, लेकिन दिल्ली भर में इसकी आपूर्ति कम थी। सहकर्मियों ने तुरंत सुनिश्चित किया कि मेरे पास शाम तक घर पर एक ऑक्सीमीटर पहुँच जाए। हमारा एक व्हाट्सएप ग्रुप है और हम एक दूसरे की मदद करते हैं। मैं आभारी हूं कि मैं एम्स का कर्मचारी हूं, खासकर महामारी के दौरान।
घर में कमज़ोर प्रतिरक्षण प्रणाली वाला व्यक्ति ठीक रहे
मैं उल्लेख करना चाहूंगा कि घर पर इस स्वास्थ्य संकट के दौरान, मेरे ससुर बख्शे गए। वे ब्लड कैंसर का मरीज हैं और स्ट्रांग / ताकतवर दवाओं और स्टेरॉयड की भारी खुराक ले रहे हैं। हालाँकि उन्हें कोविशील्ड की पहली खुराक मिल चुकी है, लेकिन हम उनके बारे में चिंतित थे क्योंकि उनकी प्रतिरक्षण क्षमता कम है। लेकिन शुक्र है कि घर में हम सभी के वायरस से संक्रमित होने के बावजूद, वे बिल्कुल ठीक रहे।
अभी भी ठीक हो रहा हूँ
मैं अभी भी ठीक हो रहा हूं, एक महीने बाद भी। थकान आसानी से हो जाती है और मैं पहले जैसी एकाग्रता से काम नहीं कर पाता हूँ, न ही लगातार देर तक काम कर पाता हूँ। जब मैं कंप्यूटर पर काम कर रहा होता हूं तो मुझे बार-बार ब्रेक लेना पड़ता है। मैं लगातार पढ़ या लिख नहीं सकता। मेरी आँखों में दर्द होने लगता है। यह शायद साइनसाइटिस और कोविड के अवशेष हो सकते हैं।
संक्रमण से लड़ने और जीवित रहने के बारे में सोचने के इस अनुभव ने मुझे और अधिक विनम्र, आभारी और आत्मनिरीक्षण करने वाला बनाया है। मुझे यकीन है कि व्यक्तिगत तौर पर और सामाजिक तौर पर हम सभी महामारी से सीखेंगे और अधिक समझदार, विनम्र और मानवीय बनेंगे। अंत में, मुझे खुशी है कि मैं अभी भी जीवित हूं और एक कोविड-योद्धा के रूप में समाज की सेवा का कर्तव्य निभा सकता हूं।