लगभग 20 वर्षों तक अवनींद्र मान को पान मसाला/गुटका तंबाकू की लत लगी रही थी, पर फिर उन्हें बड़ा झटका लगा - उन्हें मुंह का कैंसर हो गया और उनके बाएं जबड़े को हटाना पड़ा। आज, एक उत्तरजीवी के रूप में, वे मुंह के कैंसर के जोखिम के लिए जागरूकता फैलाने के लिए और लोगों की जान बचाने के लिए प्रतिबद्ध है।
मुझे 2012 में 44 साल की उम्र में मुंह के कैंसर का निदान मिला था
मुंह के कैंसर के शुरुआती लक्षण
मेरा शुरुआती लक्षण था मुंह में मामूली सी परेशानी। जलन होती थी और मुझे अपना मुँह पूरी तरह से चौड़ा करके खोलने में समस्या हो रही थी। करीब से आत्म-निरीक्षण करने पर मैंने अपने मसूड़ों पर और गालों के अंदर कुछ मोटे, सफेद धब्बे देखे। मुझे लगा कि मुझे फंगल इंफेक्शन हो गया है। मैंने आयरन और मल्टीविटामिन की एक खुराक ली और सोचा कि यह समस्या चली जाएगी, लेकिन मुझे कोई राहत नहीं मिली। बल्कि मुंह में दर्द बढ़ता गया। मुझे खाने और निगलने में भी दिक्कत होने लगी।
डॉक्टर ने जाँच करने के बाद मुझे बताया गया कि मुझे ओरल सबम्यूकस फ़ाइब्रोसिस (ओएसऍफ़) है। अगर ओएसएफ हल्का या मध्यम हो तो इसे दवाओं से नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन मेरी स्थिति में यह काफी उन्नत अवस्था में लग रहा था। मुझे बताया गया कि यह एक अच्छा संकेत नहीं है। यह कैंसर के पहले की अवस्था (प्री-कैन्सेरियस) हो सकता है या एक दुर्दम (मैलिगनेंट) ट्यूमर भी हो सकता है।
कैंसर का निदान
जब मैं चेक-अप के लिए गया तो मैं डर के मारे सुन्न हो गया था। परीक्षणों की एक सूची की सिफारिश की गई। पहले मुंह के अंदर और गले के पिछले हिस्से की जांच की गई, उसके बाद रक्त परीक्षण और एक्स-रे और मुंह की फाइन नीडल एस्पिरेशन बायोप्सी की गई। दुर्भाग्य से, परिणाम से कैंसर की पुष्टी हुई। मुझे मुंह का कैंसर था। विशिष्ट रूप से, मुझे गालों की भीतरी सतह की मेम्ब्रेन में बक्कल म्यूकोसा कैंसर या दुर्दमता थी। मुझे फ्री फ्लैप सर्जरी और रेडियोथेरेपी करवानी पड़ी।
दुबारा कैंसर होने (कैंसर की पुनरावृत्ति) के बाद जीवन बदल जाता है
दुर्भाग्य से, पहली बार मुंह के कैंसर का पता चलने के छह साल बाद (2018 में) मेरा कैंसर वापस आ गया, इस बार अधिक आक्रामक रूप से। मुझे सर्जरी के दूसरे दौर से गुजरना पड़ा, और उसके बाद कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी भी करवानी पड़ी।
यह मेरे जीवन का सबसे कष्टदायी और दर्दनाक दौर था। इस बार मुझे लगा कि मेरा अस्तित्व मेरे सामने टूट कर चूर-चूर रहा था।
विरूपता - मेरे बाएं जबड़े के बड़े हिस्से को काटा गया, जिस से मेरा चेहरा बुरी तरह से विकृत दिखने लगा। शुरू में तो मैं खुद को आईने में नहीं देख पाता था, सिर्फ आंसू निकलते थे। मेरा चेहरा सामान्य नहीं लग रहा था।
आहार - अब मैं ठोस भोजन को चबाने का आनंद नहीं ले सकता था। तब से मैं सिर्फ लिक्विड डाइट (तरल पदार्थ वाला आहार) पर जी रहा हूं। पिछले तीन वर्षों में मैंने लगभग 25 किलो वजन खो दिया है।
ओरल कैंसर के लिए सॉफ्ट फूड (नरम भोजन) के विकल्प
आवाज - मेरी आवाज अब मेरी नहीं थी। वह कर्कश और अस्पष्ट हो गयी है। मेरी बोली को पहचानना और समझना बहुत मुश्किल हो गया। मैं अब जोर से नहीं बोल सकता था। एक समय था जब मुझे पुराने गाने गाना करना बहुत पसंद था, लेकिन सर्जरी के बाद मैं एक धुन भी गुनगुना नहीं सकता था, धुन की सीटी नहीं बजा सकता था। गायन मेरा जुनून था और सुकून का जरिया रहा था। अब यह सब खो गया था।
2018 से मैंने जयपुर में रियल एस्टेट डेवलपर और निवेशक के रूप में अपने काम से भी रिटायर (अवकाश) हो चुका हूं ।
ठीक होना
सर्जरी के बाद, जब मेरा चेहरा पूरी तरह से विकृत हो गया था, तो मैंने महसूस करा कि लोग, मेरे करीबी और प्रियजन भी, धीरे-धीरे खुद को मुझसे दूर कर रहे थे। मैंने खुद को निराशा और कड़वाहट में डूबते महसूस किया। लेकिन मेरे परिवार का बहुत बड़ा सहारा रहा है। विशेष रूप से, मेरी पत्नी मेरे साथ साथ एक मजबूत स्तम्भ की तरह खड़ी रही है। मैं भी बीमारी से सामंजस्य बिठाता रहा हूं और खुद को जीवन जीने के लिए प्रेरित करता रहा हूं।
मैं अब पहले के मुकाबले अधिक सकारात्मक और आशावादी हो गया हूं। मैं काले बादलों के बजाए उनके किनारे की रुपहली चांदनी को देखता हूं। मैंने अपने चारों ओर एक खुशहाल वातावरण बनाना सीखा है जहाँ आनंद और संतोष है। मैं अब गाने में सक्षम नहीं हूं, पर तो क्या, अब मैंने अब डांस करना शुरू कर दिया है। मैं ज्यादा मेलजोल नहीं कर पाता हूं, पर मैं अब प्रकृति का आनंद लेने लगा हूँ। जहाँ मेरा जीवन एक समय भाग-दौड़ से भरा रहता था, मैं अब हर एक पल को संजोता हूँ। क्योंकि मेरा बायां जबड़ा विकृत हो गया था, मैंने अपने चेहरे को आकार देने के लिए अब सिलिकॉन पैड पहनना शुरू कर दिया है ।
मेरी सबसे बड़ी सीख
हाल के दिनों में मैं मन्ना डे द्वारा 1977 में फिल्म 'अनुरोध’ का गीत - ‘तुम बेसहारा हो तो किसी का सहारा बनो' से अपनी हिम्मत बांधता हूं। यह मेरी भावनाओं को मुखरित करता है और मुझे दिशा दिखाता है। मैं जयपुर में रहता हूं और मैं वहां के सहायता समूहों में शामिल हो गया हूं । मैं विभिन्न चैरिटी और सामाजिक समूहों का हिस्सा हूं। मैं कैंसर रोगियों की मदद करने और उन्हें प्रेरित करने की कोशिश कर रहा हूं। कुछ गैर सरकारी संगठनों की मदद से, मैं कैंसर रोगियों के लिए एंड्रॉइड ऐप विकसित करने का भी प्रयास कर रहा हूं, जिस से लोगों को कैंसर के बारे में विस्तृत जानकारी मिल पाए।
अब जब मैं अपने पिछले जीवन को देखता हूं, तो मुझे अपनी गुटखा की लत से ज्यादा किसी बात का पछतावा नहीं होता। मेरे ऑन्कोलॉजिस्ट के अनुसार, मुझे पान मसाला चबाने के कारण मुंह का कैंसर हुआ। मुझे कुछ दोस्तों ने 25 साल की उम्र में पान मसाला पर शुरू किया था। मैंने यह आदत रोजाना एक पाउच से शुरुआत की और आदत के चरम पर मैं रोजाना 10 से 15 पाउच लेने लगा था। पान मसाला भारत में मुंह के कैंसर का एक प्रमुख कारण है। लगातार पान चबाने और गुटखा निगलने से मुंह में फाइब्रोसिस हो सकता है।
मुंह के कैंसर से बचने के उपाय
- किसी भी तरह के तंबाकू के सेवन से दूर रहें। इसमें पान और गुटखा जैसे धुंआ रहित तंबाकू उत्पाद भी शामिल है।
- अच्छी मौखिक स्वच्छता बनाए रखें
- अपने मुंह के अंदर किसी भी बदलाव को नजरअंदाज न करें, खासकर अगर यदि दर्द या परेशानी हो
- यदि आपके दांत आपकी जीभ या गाल को बार-बार काट या कुतर रहे हैं (सिर्फ कभी-कभी गलती से नहीं) तो अपने चिकित्सक से तुरंत जांच कराएं। यह मुंह में किसी विकार का संकेत हो सकता है।