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चंडीगढ़ की 49 वर्षीय प्रीति सिंह एक सफल लेखिका हैं, जिनकी नवीनतम पुस्तक 'ऑफ एपिलेप्सी बटरफ्लाइज़' एपिलेप्सी (मिर्गी) के विषय पर एक सटीक एवं उपयोगी पुस्तक है। उन्हें दो साल की छोटी उम्र से एपिलेप्सी है, और इस लेख में वे बताती हैं कि कैसे जीवन के उतार-चढ़ाव ने उन्हें स्थिति के साथ जीना सिखाया है और कैसे समाज एपिलेप्सी वाले लोगों से मुंह मोड़ लेता है।
आपको निदान कब किया गया था? क्या आप हमें शुरुआती लक्षणों के बारे में बता सकती हैं?
जब मेरा जन्म हुआ, तो नर्स ने मुझे गिरा दिया था, और उस समय लगी सिर की चोट के परिणामस्वरूप 2 साल बाद मुझे पहला सीज़र हुआ। मैं अपनी बहन के साथ टब में नहा रही थी और मैं नीली पड़ गयी, मुझे तेज बुखार हो गया और मैं शायद बेहोश हो गयी। तुरंत किये गए टेस्ट और जांच की मदद से न्यूरोलॉजिस्ट ने तय किया कि मुझे दो साल की कोमल उम्र में एपिलेप्सी थी।
क्या आपके परिवार में एपिलेप्सी का कोई इतिहास है? आपके माता-पिता ने आपको इस कम उम्र से ऐसी कठिन परिस्थिति की चुनौतियों से निपटने के लिए कैसे तैयार किया?
नहीं...हमारे परिवार में एपिलेप्सी का कोई पारिवारिक इतिहास नहीं है। वास्तव में, एपिलेप्सी शायद ही कभी वंशानुगत होती है। मेरे माता-पिता और बड़ी बहन बहुत स्वस्थ थे, और मेरी हालत के बारे में जानकर उन्हें बहुत झटका लगा होगा लेकिन उन्होंने मुझे कभी इसका एहसास नहीं होने दिया। मुझे अन्य बच्चों की तरह लाड़ प्यार मिला, स्वीकार किया गया और संरक्षित किया गया। हाँ, बचपन से ही मुझे अपनी दिनचर्या के हिस्से के रूप में अपनी दवाएँ लेना सिखाया गया, क्योंकि एक भी खुराक भूल जाने से सीज़र हो सकता था। मेरे माता-पिता मेरे स्वास्थ्य के बारे में हमेशा सतर्क रहते थे, क्योंकि मैं अपनी छोटी उम्र के नाते अकसर लापरवाह रहती था, लेकिन उन्होंने मुझे कभी अलग महसूस नहीं होने दिया।
आपकी वर्तमान स्थिति क्या है?
मुझे फरवरी 2021 में आखिरी बार सीज़र पड़ा था! इसके अलावा, मैं पूरी तरह से सक्रिय हूं और भगवान की कृपा से पूरी सतर्कता के साथ घर संभाल रही हूं।
कृपया एपिलेप्सी के प्रबंधन के अपने अनुभव का वर्णन करें
एपिलेप्सी को ठीक नहीं किया जा सकता है लेकिन इसे अच्छी तरह से प्रबंधित करके इसे नियंत्रित किया जा सकता है। आपको अपने ट्रिगर्स को अच्छी तरह से जानने की जरूरत है। सुनिश्चित करें कि आप अपनी दवाओं को कभी भी मिस न करें! मैं रिमाइंडर के माध्यम से सुनिश्चित करती हूं कि मैं अपनी दवाएं लेने में कभी न चूकूं। मैं अपने सीज़र के ट्रिगर्स से बचने की कोशिश करती हूं और भावनात्मक रूप से स्वस्थ रहने की पूरी कोशिश करती हूं।
क्या दवाओं के कोई दुष्प्रभाव हैं?
हां। एईडी (एपिलेप्सी रोधी दवाएं) के बहुत सारे दुष्प्रभाव होते हैं लेकिन वे अलग-अलग होते हैं, और इस पर निर्भर है कि आप कौन सी दवाओं लेते हैं। उदाहरण के लिए जो दवाएं मैं लेती हूं वे मुझे बहुत उनींदा और सुस्त बनाती है और मेरा मस्तिष्क पूरी तरह से ठीक काम नहीं करता है, जिससे भूलने की समस्या होती है। मेरी दवा का एक अन्य साइड इफेक्ट है कि मेरा वजन बढ़ रहा है इसलिए मुझे यह ध्यान रखना होता है कि मैं क्या खा रही हूं! सूजे हुए मसूड़े और सांसों की दुर्गंध एक अन्य साइड इफ़ेक्ट है। संभव साइड इफ़ेक्ट की सूची अंतहीन है क्योंकि दवाएं अलग अलग होती हैं लेकिन हम एपिलेप्सी से लड़ने वाले सच में योद्धा होते हैं - हमें किसी की दया नहीं चाहिए, बस सभी की स्वीकृति और प्यार चाहिए।
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आपने किन चुनौतियों का सामना किया और इस तरह की चुनौतियों का सामना करने वाले अन्य लोगों के लिए आपकी क्या सलाह है?
मेरे सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है समाज में स्वीकृति। मेरे अनुभव में, हम एपिलेप्सी वाले लोगों को स्वीकार नहीं किया जाता, त्याग दिया जाता है और कभी-कभी हमारे साथ अछूत जैसा व्यवहार करा जाता है! एपिलेप्सी को अभी भी हमारे समाज में एक बड़ी वर्जना मानी जाती है और इसके बारे में बात नहीं की जाती है। मैं चाहती हूं और दृढ़ता से सलाह दूंगी कि माता-पिता अपने एपिलेप्सी वाले बच्चों को पूर्ण जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करें, जैसा कि मेरे माता-पिता ने किया है। हमने ऐसा एपिलेप्सी वाला जीवन नहीं मांगा था... यह तो ईश्वर की देन है। यह विकार हमारी गलती नहीं है, तो हमें इस के लिए सजा क्यों दी जाए। हम चाहते हैं कि हमें स्वीकार किया जाए, हमें प्यार किया जाए, हमारी देखभाल हो। हमें नौकरी मिल जाए, आसानी से शादी हो पाए, और कोई हमें नीचा न समझे। एपिलेप्सी के बारे में बेझिझक, खुलकर चर्चा होनी चाहिए, वैसे ही जैसे कि कैंसर, डायबिटीज और अन्य बीमारियों पर बात होती है। यह अन्य मस्तिष्क के विकार जैसे ही है, कलंक का कारण नहीं।
क्या आपने एपिलेप्सी के बारे में कुछ ऐसा सीखा है जो आप चाहती हैं कि आपको पहले पता होता?
हां, मैं अपनी पुस्तक 'ऑफ एपिलेप्सी बटरफ्लाइज़' लिखना शुरू करने से पहले खुद एपिलेप्सी की बहुत सारी बातों से अनजान थी। जैसे कि, मुझे एसयूडीईपी (सडन अनएक्सपेक्टेड डेथ इन एपिलेप्सी) के बारे में नहीं पता था - इस में यदि आप अपनी दवाओं को लेना भूल जाते हैं तो सोते समय मृत्यु हो सकती है। मुझे तब एहसास हुआ था कि मैं कितनी बार दवा लेना भूल जाती थी, मैंने अपनी स्थिति को कितने हल्के से लिया था - मैं घुटन के कारण नींद में मर सकती थी, लेकिन शुक्र है किसी तरह बच गयी! एपिलेप्सी बहुत कम चर्चित अवस्था है, ख़ास तौर से भारत में जहां इस के साथ बहुत कलंक जुड़ा है - और मुझे लगा कि दूसरों को इस विकार के बारे में शिक्षित करना चाहिए।
एपिलेप्सी के उपचार के लिए किस प्रकार के विशेषज्ञ की जरूरत हैं और उनसे कितनी बार परामर्श करने की आवश्यकता है?
जब न्यूरोलॉजिस्ट आपके एपिलेप्सी विकार का निदान करते हैं, तो आपकी स्थिति के अनुसार दवाओं को निर्धारित किया जाएगा। प्रत्येक व्यक्ति, प्रत्येक स्थिति, प्रत्येक सीज़र अलग है, इसलिए इस के लिए कोई एक सलाह या नुस्खा नहीं हो सकता। हर बार जब आपको सीज़र होता है, तो आपका न्यूरोलॉजिस्ट शायद ईईजी परीक्षण करने के बाद आपकी दवा को अनुकूलित करेंगे।
क्या आपको अपनी स्थिति के कारण अपनी जीवन शैली में पिछले कुछ वर्षों में कुछ बदलाव करने पड़े हैं?
एपिलेप्सी का हर मामला अलग होता है। एपिलेप्सी किसी को भी, किसी भी उम्र में, कभी भी हो सकती है। मुझे एपिलेप्सी का सीज़र पहली बार 2 साल की उम्र में हुआ, लेकिन कई लोगों में एपिलेप्सी 22 या 42 या 72 साल तक की उम्र में शुरू होती है! किसी भी उम्र में! जी हां, एपिलेप्सी किसी भी अन्य बीमारी की तरह आपके जीवन को पूरी तरह से बदल देती है और आपको जीवनशैली में बदलाव करना पड़ता है। इन वर्षों में, मैं घर के साधारण काम करने, शॉवर लेने या यहां तक कि अपने मेल चेक करने जैसी साधारण कार्यों को करने में बहुत धीमी हो गई हूं। मुझे किताब लिखने में 2 साल लगे क्योंकि मोबाइल या लैपटॉप पर टाइप करते समय मेरे हाथ कांप जाते हैं। मैं अब फुल-टाइम नौकरी नहीं कर सकती इसलिए मैं घर से काम करती हूं और जितना कर सकती हूँ, उसी के हिसाब से प्रोजेक्ट लेती हूँ - दवाओं की भारी खुराक के कारण मुझे पर्याप्त नींद की आवश्यकता होती है। लेकिन जब आप स्वीकार करते हैं कि आपको समस्या है, तो आप मुसकुरा कर आगे बढ़ते हैं और जीवन शांतिपूर्ण चलता है। स्वीकृति ऐसी स्थिति के लिए सबसे महत्वपूर्ण है।
क्या आपने योग या वैकल्पिक चिकित्सा जैसी पूरक चिकित्सा की कोशिश की है?
वैकल्पिक चिकित्सा हर किसी के लिए काम नहीं करती है और यह मेरे लिए भी काम नहीं करती है। बचपन में, क्योंकि एलोपैथिक दवाओं से मुझे स्कूल में इतनी नींद आती थी कि मैं औसत से नीचे की छात्रा थी, मेरे माता-पिता ने अन्य हर किसी तरह की चिकित्सा प्रणाली की कोशिश की, लेकिन सभी विफल रहीं। मेरे सीज़र को केवल एलोपैथिक दवाओं द्वारा नियंत्रित करा जा सकता था - यही दवाएं मेरा कवच थे - एक बार लेना भूल गयी तो फिर से सीज़र हो सकता था और दवा की मात्रा को फिर से ठीक स्तर पर लाने की क्रिया मानो फिर शुरू करने पड़ सकती थी। हां, कभी-कभी मैं योग करती हूं, लेकिन सिर्फ वजन कम करने के लिए, पर सच तो यह है वजन वास्तव में कभी कम नहीं होता।
क्या आपके लिए स्थिति का सामना करना भावनात्मक रूप से कठिन रहा है?
निश्चित रूप से, हाँ, कभी-कभी। आखिर मैं भी तो इंसान हूं। जब मैं अपने चारों ओर हर किसी को सक्षम, सक्रिय, और इतना कुछ करते देखती हूं, तो अकसर मुझे खुद पर तरस आता है। मुझे कभी कभी दिन में कई बार “एब्सेंस सीज़र” नामक सीज़र होते हैं जिन में मैं कुछ देर के लिए बिना हिलेडुले बस एकटक घूरती रहती हूँ। अकसर महत्वपूर्ण बातचीत के बीच मैं सीज़र के कारण कुछ क्षण खो देती हूँ, बात का सिरा खो जाता है, पर फिर वापस ठीक हो जाती हूँ! ऐसे समय में, मैं समझ नहीं पाती हूं कि जीवन का सामना कैसे करूं और अकेले चीजों को कैसे संभाल पाऊँगी! लेकिन यह सब मेरे बस में नहीं है और मैंने खुद को भगवान के हाथों में छोड़ दिया है। मुझे विश्वास है कि भगवान ने मुझे इस तरह बनाया है, इसलिए भगवान ही मेरी देखभाल करेगा। बस!
आपके परिवार ने आपको कैसे सपोर्ट किया है?
हाँ बिलकुल ! मेरे माता-पिता और बहन ने बेझिझक मुझे पूरी स्वीकृति और प्यार के साथ पाला है, उनके बिना मैं यहाँ इस तरह स्वस्थ और जीवित नहीं होती। मुझे बड़े लाड़ प्यार नाज नखरों से पाला गया है, बचा कर सुरक्षित रखा गया है। शायद कुछ ज्यादा ही बचाया गया है, इस डर से कि कहीं ऐसा न हो कि मुझे सीज़र हो जाए। 80 के दशक में भी मेरा विकार कभी भी दुनिया से 'कलंक' मान कर छिपा नहीं गया । जब मैं यह किताब लिख रही थी, तब भी मेरा परिवार वाले कहते रहे कि यह मेरी सबसे अच्छी कृति है। बेशक, हमेशा की तरह मैं उन पर विश्वास नहीं करा! सेना के वेटेरन मेरे 84 वर्षीय वयोवृद्ध पिता और मेरी 22 वर्षीय डॉक्टर बेटी मेरे काम के सबसे बड़े आलोचक हैं और जब वे मेरे काम की प्रशंसा करते हैं तो मुझे भरोसा होता है कि मैं पास हो गयी हूं। वे मेरी अच्छी देखभाल करते हैं और साथ में हमने एक ऐसे कुत्ते को भी गोद लिया है जिसे एपिलेप्सी की बीमारी है।
क्या आपके डॉक्टर ने आपको काउंसेलिंग दी?
नहीं, शायद मुझे कभी इसकी आवश्यकता महसूस नहीं हुई... मैं बहुत ही जीवंत किस्म की थी और अब भी हूं। जो जीवन में आता है, उसी के साथ जी लेती हूँ और मेरा विश्वास है कि हमें पूरी तरह इस वर्तमान पल में जीना चाहिए क्योंकि कल आयेगा या नहीं, क्या पता! हां, सब की तरह, मैं भी कभी-कभी उदास होती हूँ, लेकिन ऐसे मौकों के लिए मेरे अच्छे दोस्त हैं जिनसे बात कर सकती हूँ, सुख दुःख आंसू और हंसी बाँट सकती हूँ, या मैं किताब पढ़ सकती हूँ या फिल्म देख सकती हूँ - और ये पल बीत जाते हैं।
आपके मित्र आपके साथ कैसा व्यवहार करते हैं ? क्या आप अलग-थलग महसूस करती हैं?
मेरे मित्रों का दायरा बहुत छोटा है क्योंकि बहुत कम लोग मेरी मेडिकल स्थिति को वास्तव में समझते हैं। मैं बहुत आसानी से देती हूँ और आसानी से भरोसा कर लेती हूँ, पर एक बार यदि कोई मेरा भरोसा तोड़ दे या मेरे स्वास्थ्य का मजाक उड़ाए, तो वह मेरे जीवन में फिर से मेरे दायरे में वापस नहीं आ सकेगा, चाहे कितनी भी कोशिश कर ले। मेरे थोड़े बहुत जितने भी दोस्त हैं, उन्होंने मेरा साथ हमेशा दिया है, चाहे समय अच्छा था या बुरा, चाहे मेरी हालत कैसे भी रही हो।
कृपया हमें अपनी पुस्तक 'ऑफ एपिलेप्सी बटरफ्लाइज़' के बारे में बताएं। आपको इसे लिखने के लिए कैसे प्रेरणा मिली? पुस्तक पर आपको क्या प्रतिक्रिया मिली है?
हमारे देश में एपिलेप्सी यानी मिर्गी के बारे में जागरूकता की कमी और इससे होने वाले कलंक ने मुझे यह किताब लिखने के लिए प्रेरित किया। मैं एक प्रेम कहानी लिखने के बीच में था, जब एक मित्र का छोटा बेटा एसयूडीईपी (सडन अनएक्सपेक्टेड डेथ इन एपिलेप्सी) के कारण गुजर गया और 50 साल की उम्र में इस घटना ने मुझे एहसास दिलाया कि यह तो मेरे साथ भी हो सकता है, खासकर क्योंकि मुझे डायबिटीज और उच्च रक्तचाप भी है। फिर शुरू हुआ मेरा अनुसंधान ऐसें एपिलेप्सी योद्धाओं को इकट्ठा करने का जो अपनी कहानियां साझा करने के लिए तैयार थे ताकि अन्य लोग अपनी संकुचित दुनिया से बाहर आने के लिए प्रेरित हों और बिना किसी बंधन के जीवन जी पायें।. मैंने कुछ काल्पनिक कथाएँ भी लिखी हैं जिन से बिना एपिलेप्सी वाले लोग समझ पायें कि हम जैसे एपिलेप्सी वाले लोग के क्या अनुभव होते हैं और हम क्या महसूस कर सकते हैं। इस सुन्दर संकलन में कुछ प्रतिभाशाली कवियों ने भी अपनी कविताओं का योगदान दिया है। लोगों की पुस्तक पर प्रतिक्रिया प्रेरक रही है; इस हद तक कि मैं अब इसका हिंदी भाषा में अनुवाद करवा रही हूं ताकि यह कहीं अधिक पाठकों तक पहुंचे और एपिलेप्सी संबंधी हमारा संदेश दूर-दूर तक पहुंचे और लोग इस विकार को किसी अन्य सामान्य बीमारी जैसे ही स्वीकार कर सकें।
आप एपिलेप्सी वाले दूसरे लोगों की मदद के लिए और क्या कर रही हैं? आपकी स्थिति के बावजूद इस सब काम में आपको रोजाना क्या प्रेरित कर रहा है?
नवंबर 2020 में एपिलेप्सी की किताब ऑनलाइन रिलीज़ करने के बाद मैंने एक हेल्पलाइन फोन नंबर भी लॉन्च किया, जिस पर एपिलेप्सी वाले व्यक्ति जरूरत पड़ने पर मुझे कॉल कर सकते थे और मुझसे बात कर सकते थे। एपिलेप्सी से जुड़ा कलंक इतना गहरा है कि कभी-कभी परिवार के सदस्य एपिलेप्सी वाले व्यक्ति को बीमारी के बारे में बोलने या साझा करने नहीं देते हैं। इसलिए मैंने एक व्हाट्सएप नंबर लॉन्च किया जहां मैं नियमित रूप से प्रेरक संदेशों वाले अपडेट डालती हूं और लोगों को एपिलेप्सी के बारे में शिक्षित करती हूं। मैं देख रही हूं कि धीरे-धीरे लोग अपने संकुचित दायरों से बाहर आ रहे हैं और कह रहे हैं कि वे मेरे फेसबुक वॉल पर साक्षात्कार के लिए तैयार हैं, वे पुस्तक में एपिलेप्सी योद्धाओं के बारे में पढ़ने के बाद अपनी एपिलेप्सी की यात्रा के बारे में बात करने को तैयार हैं। रोज जब मैं उठती हूं, मैं उम्मीद करती हूँ कि मैं उस दिन कम से कम किसी एक व्यक्ति के जीवन को बदलने में कामयाब रहूँ। इस से मुझे एक और दिन खुशी से जीने का कारण मिलता है और मेरे शरीर की सारी थकान पीछे छूट जाती है।
प्रीति सिंह की पुस्तक https://amzn.to/2SF1oNW पर उपलब्ध है और उन से https://www.facebook.com/bornfree71/ या https://www.instagram.com/preetis1971/ पर संपर्क करा जा सकता है।