इस लेख में डॉ. नुज़हत अजीज (सलाहकार प्रसूति विशेषज्ञ, फर्नांडीज अस्पताल, हैदराबाद) गर्भावस्था की विफलता के बारे में गलत धारणाओं को दूर करती हैं, और समझाती हैं कि मिसकैरेज (गर्भपात) और अन्य गर्भ विफलता के लिए महिलाओं के प्रति कलंक और शर्म की भावना कितनी गलत है।
आजकल, कई पश्चिमी देशों की तरह, भारत भी 15 अक्टूबर को प्रेगनेंसी एंड इन्फेंट लोस रिमेम्ब्रांस डे ( गर्भावस्था और शिशु हानि स्मरण दिवस) के रूप में मनाता है। इस दिन का क्या महत्व है?
वर्ष 2002 में, रॉबिन बियर, लिसा ब्राउन और टैमी नोवाक ने 15 अक्टूबर को संयुक्त राज्य अमेरिका में गर्भावस्था और शिशु हानि के लिए जागरूकता दिवस के रूप में घोषित करने के लिए एक अभियान चलाया। इसका उद्देश्य था उन लोगों के प्रति जागरूकता, समर्थन और सम्मान पैदा करना जिन्होंने गर्भावस्था के नुकसान या शिशु मृत्यु का सामना किया है।
गर्भावस्था का नुकसान और शिशु हानि मिसकैरेज (गर्भस्राव/ स्वतः गर्भपात), मृत जन्म, इक्टोपिक प्रेगनेंसी (अस्थानिक गर्भावस्था) या सडेन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम (अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम) से हो सकता है। बच्चा खोना महिला, उसके परिवार और उससे जुड़े सभी लोगों के लिए विनाशकारी है। वे जिस शोक का अनुभव करते हैं वह अन्य नुकसान के कारण अनुभव किए गए शोक से बहुत अलग है परन्तु इस शोक को अन्य शोक जैसे स्वीकार नहीं किया जाता है। कई संस्कृतियों में गर्भावस्था की हानि और मृत जन्म अभी भी एक वर्जित विषय है, और इसके बारे में बात करने में बहुत दिक्कत होती है। शोक का सामना कर पाना उपचार का एक जरूरी अंग है और किसी व्यक्ति के दुःख को स्वीकार करने से उन्हें शोक से उभरने होने में मदद मिलती है। 15 अक्टूबर को गर्भावस्था और शिशु हानि दिवस के रूप में मनाने का उद्देश्य है इस महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दे पर जन जागरूकता पैदा करना है।
वर्ष 2004 से इस अवसर पर सब लोगों को भाग ले पाने के लिए और इस के साथ जुड़ पाने के लिए “वेव ऑफ़ लाइट” (रौशनी की लहर) भी शुरू करा गया है - इसमें शामिल है मोमबत्तियां जलाना और शाम के 7 बजे सभी स्मारकों को प्रकाश से उज्ज्वलित करना।
गर्भावस्था के नुकसान का सबसे आम कारण क्या है?
गर्भावस्था के नुकसान के सबसे सामान्य कारण गर्भावस्था के चरण के साथ भिन्न होते हैं। प्रारंभिक गर्भावस्था में मिसकैरेज में आनुवंशिक समस्याएँ/ अपसामान्यताएं एक प्रमुख कारण होती हैं, लेकिन अग्रिम गर्भावस्था में हुए नुकसान के प्रमुख कारण होते हैं उच्च रक्तचाप, मधुमेह, और भ्रूण के विकास का प्रतिबंधित होना। पिछले कुछ वर्षों में नवजात शिशु की मौतों में काफी कमी हुई है। विकासशील देशों में, हम अभी भी प्रसव संबंधी कारणों और संक्रमण को नवजात शिशु के मृत्यु के मुख्य कारण के रूप में पाते हैं।
अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम, एसआईडीएस) के मुख्य कारण क्या हैं?
अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम एक वर्ष से कम आयु के बच्चे की ऐसी अचानक मौत को कहते हैं जिस का कोई स्पष्ट कारण ज्ञात नहीं हैं। यह एक स्वस्थ बच्चे में अचानक हो सकता है। कुछ स्थितियां जो इस से जुड़ी हुई पाई जाती हैं, वे हैं शिशु के मुंह और पेट के बल सोना, बहुत नरम गद्दे पर सोना, सॉफ्ट टॉय, (मुलायम खिलोने), दूध पिलाने के दौरान अधिक गर्मी, महिला के अन्य बच्चों में एसईडीएड होने का इतिहास, धूम्रपान करने वाली माताएँ। यह जरूरी है कि माताओं यह जानें कि बच्चों को लिटाने और सुलाने के लिए सबसे अच्छा तरीका क्या है, और शिशु को ऐसी जगह सुलाना जहां माताएं बच्चे पर नजर रख सकें, बिस्तर पर लेटे हुए बच्चे को दूध न पिलाएं (क्योंकि ऐसे में मां को नींद आ सकती है)।
भारत में मिसकैरेज का दर क्या है?
उपलब्ध रिपोर्ट के अनुसार मिसकैरेज का दर 10 से 30% के बीच है लेकिन दुनिया भर में मिसकैरेज का स्वीकृत दर 15% माना जाता है।
गर्भावस्था के नुकसान का मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक प्रभाव क्या है, विशेष रूप से महिलाओं के लिए?
गर्भावस्था के नुकसान से महिलाओं को गहरा सदमा पहुँचता है जो जीवन भर रहता है। प्रेगनेंसी टेस्ट पॉजिटिव निकलने के बाद महिलाओं में अपनी बाहों में खेलने वाले बच्चे की आशा पैदा होती है। गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय पर हुई विफलता उस आशा को चकनाचूर कर देती है और वे बच्चे की मृत्यु के भयानक भावनात्मक आघात का अनुभव करती हैं। यह शोक लंबे समय तक रहता है, और कई कारकों और उपलब्ध भावनात्मक समर्थन पर निर्भर होता है।
असफल गर्भावस्था के साथ बहुत अधिक शर्म, कलंक और आत्म-दोष जुड़ा है। असफल गर्भावस्था के लिए महिलाएं किस हद तक जिम्मेदार होती हैं?
गर्भावस्था की विफलता के लिए महिलाओं को कतई जिम्मेदार नहीं माना जा सकता है। गर्भ के नुकसान होने पर महिलाएं अकसर खुद को दोष देती हैं- खासकर यदि हानि गर्भावस्था के शुरुआती हफ्तों में हुई हो। वे संभोग, काम या यात्रा को मिसकैरेज का कारण मानती हैं। इन गलत विचारों और भावनाओं को नकारना स्वास्थ्य कर्मियों और परिवार वालों की जिम्मेदारी है। हमें इन महिलाओं से हर मुलाकात में इस बात पर जोर देते रहना चाहिए कि यह उनकी गलती नहीं थी।
मिसकैरेज से जुड़े नकारात्मक लक्षणों को प्रबंधित करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?
गर्भ खोने के शोक से जूझ रही महिला को सहायता देने में उसके परिवार को और समाज को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होती है। शोक परामर्श में प्रशिक्षण प्राप्त करने से स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारी संवेदनशील होने में और उपयुक्त शब्दों का उपयोग करने में सक्षम हो पाते हैं। हर महिला और दंपति का शोक से जूझने का तरीका अलग होता है। उन्हें इस के लिए समय दें, और उनकी बातें सहानुभूति से सुनें, ताकि वे उचित विशेषज्ञ से सहायता की तलाश कर पायें। कुछ को मनोवैज्ञानिक सहायता की आवश्यकता हो सकती है और मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक के रेफरल से लाभ हो सकता है।
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गर्भावस्था के नुकसान और मिसकैरेज के बारे में बात करना और खुली अभिव्यक्ति कर पाना क्यों महत्वपूर्ण है?
इंसानों को सहारे की जरूरत है। किसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद यदि परिवार और समाज का समर्थन मिले तो हम तेजी से ठीक हो पाते हैं। किसी वयस्क प्रियजन की मृत्यु के बाद हमें आस-पास के सभी लोगों का भावनात्मक समर्थन प्राप्त होता है। लेकिन जब मृत जन्म (स्टिलबर्थ) या मिसकैरेज होता है, तो यह विषय वर्जित है, इस शोक को छिपाया जाता है, लोगों को इस के बारे में बताया नहीं जाता है। मैं ऐसी कई महिलाओं को जानती हूं जिन्होंने बच्चे को खोने के बाद गर्भावस्था संबंधी सवालों से बचने के लिए अपना शहर छोड़ दिया। हम आशा करते हैं कि 15 अक्टूबर को स्मरण दिवस के रूप में मनाने से ये मुद्दे खुलेंगे, दम्पतियों को बच्चे को खोने के शोक के बारे में बात करने की अनुमति मिलेगी, और सभी लोग यह जान पायेंगे कि ऐसे शोक के बारे में कैसे बात करें, इसे कैसे स्वीकार करें और इस से उभरने के लिए दम्पति को किस तरह से समर्थन दें।
आपको ऐसा क्यों लगता है कि गर्भावस्था और शिशु हानि के बाद महिलाओं को स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों से पर्याप्त रूप से जानकारी और समर्थन नहीं मिलता है?
हमारे प्रशिक्षण के दौरान हमें यह नहीं सिखाया गया है कि किसी भी प्रकार के नुकसान का अनुभव करने वाले व्यक्तियों की मदद कैसे करें। मैं जब युवा प्रसूति विशेषज्ञ थी तब मैं महिलाओं और दम्पतियों की भावनाओं के प्रति उतनी संवेदनशील नहीं थी जितनी अब हूँ। फर्नांडीज में हम "बिरीवेमेंट काउंसलिंग (शोक परामर्श)" में निवेश करते हैं और अपने रेजिडेंट, नर्सों और दाइयों को इस विषय पर प्रशिक्षित करते हैं कि वे उन माताओं के साथ कैसे काम करें जो गर्भ की हानि का अनुभव करती हैं। हममें से बहुतों को यह भी सीखना होता है कि जबरदस्ती बात न करें, कुछ समय मौन और शांति के लिए रखें। कुछ महिलाओं को अपने शोक को साझा करने से पहले कुछ समय और चुप्पी की जरूरत होती है। हमें यह पहचान पाने की जरूरत है कि कब बात करनी है और कब चुप रहना है। हमें इस पर जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है - महिलाओं के बीच और अपनी स्वास्थ्य कर्मचारी बिरादरी में।
क्या आपको लगता है कि स्वस्थ बच्चे के जन्म से पहले हुई प्रेगनेंसी की हानि से उत्पन्न मनोवैज्ञानिक मुद्दे ठीक हो सकते हैं?
प्रत्येक महिला अलग तरीके से शोक से गुजरती है, शोक से जूझने के लिए महिलाओं के अलग-अलग तंत्र होते हैं। कई महिलाओं को थोड़े या लम्बे समय के लिए अत्यधिक चिंता या अवसाद (डिप्रेशन) होता है। दम्पतियों को अगली गर्भावस्था से गुजरना मुश्किल लगता है। कई ट्रिगर दर्द भरी भावनाओं को उत्तेजित करते रहते हैं। शोक से ग्रस्त महिलाएं जब फिर से अस्पताल जाती हैं, या अगली गर्भावस्था में भ्रूण के दिल की धड़कन सुनती हैं, तो उन्हें पहली प्रेग्नेन्सी की यादों के फ्लैशबैक आते हैं। हां, जब उनका बाद में स्वस्थ बच्चा होता है, तो वे बच्चे की देखभाल में व्यस्त हो जाती हैं। पर पहले नुकसान का मनोवैज्ञानिक आघात आजीवन रहता है। मुझे अपनी सहेली याद है, जो मेरे पास पहली बार अपनी दूसरी गर्भावस्था के लिये आई थी (उस से पहले उस का मृतजन्म हुआ था)। इस बार उसका एक स्वस्थ बच्चा हुआ। मैं उसके शब्द कभी नहीं भूल सकती। उसका पहला बच्चा (मृतजन्म) 4 साल पहले हुआ था और उसने कहा कि हर बार जब वह किसी 4 साल के बच्चे को देखती है तो वह सोचती कि (सब ठीक हुआ होता तो) उसका बच्चा भी इस तरह खेल रहा होता। उसने कहा, "मैं हमेशा कहती हूं कि मेरे दो बच्चे हैं, एक भगवान के पास है" इसलिए बेहतर परिवार, बेहतर समाज बनाने के लिए जितना संभव हो, गर्भावस्था के सभी नुकसानों को रोका जाना चाहिए।
मिसकैरेज के बाद दोबारा गर्भधारण करने से पहले कितने समय तक इंतजार करना चाहिए?
हम महिलाओं को यह सलाह देते हैं कि मिसकैरेज के सभी सम्भव कारणों का मूल्यांकन करने के बाद ही फिर से गर्भ धारण करने की योजना बनाएं और महिला को ऐसा भी लगना चाहिये किया वह दूसरी गर्भावस्था से गुजरने के लिये तैयार है। हम दो से तीन मासिक धर्म चक्र गुजरने के बाद ही गर्भ धारण करने का सुझाव देते हैं, लेकिन यदि महिला उस से जल्दी गर्भ धारण करना चाहे तो भी बिलकुल ठीक है। वैज्ञानिक रूप से सिद्ध ऐसी कोई समय अवधि नहीं है जिसे सबसे उपयुक्त अंतराल कहा जा सकता है।
एक मिसकैरेज की घटना के बाद अगले बच्चे के खोने की संभावना क्या है?
एक मिसकैरेज के बाद फिर से मिसकैरेज होने की संभावना नहीं बढ़ती है। यदि किसी महिला का बार-बार मिसकैरेज होता है (लगातार तीन मिसकैरेज) तब मिसकैरेज का जोखिम अधिक होता है।
क्या तनाव और जीवनशैली के विकल्प का मिसकैरेज और गर्भावस्था के नुकसान में योगदान हो सकता है?
कई बार तनाव से बचना सम्भव नहीं होता है। यह महत्वपूर्ण है कि हम इसे गर्भावस्था के नुकसान के कारण के रूप में न लें क्योंकि ऐसा करने से महिलाओं को अत्यधिक अपराध बोध का अनुभव होगा। हां, जीवनशैली के विकल्प का असर हो सकता है; धूम्रपान, शराब के सेवन, जोखिम व्यवहार को संशोधित किया जा सकता है। मोटापा एक महत्वपूर्ण सम्भव कारक है जिसे जीवनशैली में बदलाव के माध्यम से संशोधित किया जा सकता है।
क्या गर्भधारण से पहले की योजना बनाने से मिसकैरेज को रोकने का कोई संबंध है? गर्भधारण से पहले की योजना बनाने की सलाह किन स्थितियों में दी जाती है?
गर्भधारण पूर्व परामर्श बहुत महत्वपूर्ण है। मैं सभी महिलाओं को गर्भधारण पूर्व परामर्श लेने का सुझाव दूंगी। ऐसा करने से उसके चिकित्सा इतिहास की समीक्षा हो पाती है - और थायराइड, मधुमेह या उच्च रक्तचाप जैसी चिकित्सा स्थितियों को अनुकूलित करा जा सकता है, जैसे कि यदि आवश्यक हो तो इन की वर्तमान दवाओं की जगह अधिक सुरक्षित दवाओं का परचा दिया जा सकता है। इस परामर्श का उपयोग सामान्य चिकित्सा स्थितियों के लिए स्क्रीन करने के लिए भी किया जाता है, और गर्भधारण पूर्व फोलिक एसिड विटामिन की खुराक भी शुरू की जा सकती है। फोलिक एसिड की कमी को जन्म दोष का कारण माना जाता है। इस परामर्श के दौरान हम इन दिनों रूबेला, कोविड जैसे टीकाकरण की स्थिति की जांच भी करते हैं, क्योंकि गर्भधारण से पहले ही टीकाकरण करवाना बेहतर होता है। सभी मिसकैरेज की घटनाओं को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन ऐसे मिसकैरेज जिनसे बचाव संभव है, उन से बचने के लिए कदम लिए जा सकते हैं।
गर्भावस्था के दौरान संभावित समस्या के 5 चेतावनी संकेत क्या हैं?
- प्रारंभिक गर्भावस्था में रक्तस्राव
- पेट में ऐंठन जो लयबद्ध और नियमित हो
- भ्रूण की गतिविधियों में कमी
- उच्च रक्तचाप
- मधुमेह।
डॉ नुज़हत अजीज,
कंसलटेंट ओब्स्टेट्रीशियन, फर्नांडीज अस्पताल, हैदराबाद, तेलंगाना
वर्तमान रुचियां: हाइ रिस्क ओब्स्टेट्रिक्स (उच्च जोखिम प्रसूति), प्रोटोकॉल / टीचिंग / ट्रेनिंग, प्रिवेंशन आफ स्टिलबर्थ (मृत जन्म की रोकथाम), मेटर्नल मॉर्बिडिटी रिडक्शन (मातृ रुग्णता कम करना), कस्टमाइज़्ड (अनुकूलित) ग्रो चार्ट